लॉकडाउन के बाद तौकते बरसात से तरबूज-खरबूज की खेती में भारी नुकसान, किसान को बीज की लागत भी नहीं लगी हाथ
गुरलां के कहार परिवार ने रणजीत सागर तालाब में कर रखी थी आठ दस बीघा खेती, सभी चौपट
गुरला (भीलवाड़ा,राजस्थान/ बद्रीलाल माली) वैसे ही वैश्विक महामारी के चलते लगे लॉकडाउन ने काश्तकारों की कमर तौड़ कर रख दी हैं ऊपर से रही सही कसर इस तौकते तूफानी चक्रवात ने पूरी करके रख दी । नतीजन खेतो में पानी की आवक से सब्जियां फल इत्यादि सड़गल कर खराब हो गए हैं। जिससे इस बार किसानों को बीज की लागत भी नही मिल सकी ।
भीलवाड़ा राजसमंद राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे गुरलां गांव के बाहर बना गुरलां का रणजीत सागर तालाब वर्षभर तक किसानों की रोजी रोटी का एक मात्र जरिया हैं । जिसमें पानी की आवक के ऊपर ही बारहों मास की खेती निर्भर करती हैं। जिससे यहां के काश्तकार परिवारों की साल भर तक रोजी रोटी चलती हैं । ऐसे में तालाब का पेटा जब कुछ खाली हो जाता हैं तो उसमें यहां के कहार जाती के लोग सब्जियों के साथ ही इस मौषम में सर्वाधिक बिकने वाले तरबूज, खरबूज और तर ककड़ियाँ इत्यादि की बुवाई करके खेती करते हैं । इस वर्ष भी यहां के कहार परिवार ने ककड़ी, तरबुज व खरबुज की बुवाई की थी मगर पहले तो लॉकडाउन और बाद में इस तौकते तूफान ने सब कुछ चौपट करके रख दिया ।
गुरलां के गणपत लाल कहार ने बताया कि इस वर्ष करीब आठ-दस बीघा जमीन पर उसने तर ककड़ी के साथ ही तरबूज व खरबूज की फसल बोई थी । जिसकी पैदावार भी अच्छी गुणवत्ता लिए हुए फल के रूप में हुई । क्यों कि अच्छी किश्म का महंगा वाला बीज लाकर बुवाई की गई थी । लेकिन इस बार बीज के पेसो से भी उसे हाथ धोना पड़ा । कारण की वैश्विक महामारी के कारण लगे लॉकडाउन डाउन के चलते यहां कोई व्यापारी नहीं पहुँच पाया । जैसे तैसे यही छूटकर बेचकर अपना पेट पालने की जुगत कर रहा था तो ऊपर से रही सही कसर भी इस तौकते तूफान ने पूरी करके रख दी । जिससे इस तूफानी बरसात से तालाब में हुई पानी की आवक से पूरी खेती जलमग्न हो गई । और सभी तरबूज व खरबूज पानी की मार से सड़कर गल गए और फफूंद लगकर पूरी सफल भी नष्ट हो गई । गणपत कहार मे बताया कि लॉकडाउन के कारण भी रोज 5 से 7 टन माल खेत में ही खराब हो रहा था और अब इस बरसात ने परिवार की पूरे सालभर की रोटी को छीन लिया ।