आंदोलनकारियों ने कांति यात्रा के लिए आदिबद्री व कनकाचल पर्वत से लगे गांवो में किया जनसंपर्क
गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक से मिला आंदोलनकारियों का शिष्टमंडल
ड़ीग (भरतपुर, राजस्थान/पदम जैन) ब्रज के कनकाचल व आदिबद्री पर्वत पर हो रहे खनन के विरोध में पिछले 186 दिनों से डीग के गांव पसोपा में साधु-संतों व ग्राम वासियों का धरना व आंदोलन शुक्रवार को जारी रहा । इस मामले में आंदोलनकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक से मिला तथा उन्हें आंदोलन के कारणों और वर्तमान स्थिति की जानकारी देते हुए कंकाचल और आदिबद्री पर्वत क्षेत्रो को वन संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की मांग रखी।
25 जुलाई से प्रस्तावित क्रांति यात्रा निकाले जाने की तैयारी के चलते साधु-संतों के अलग-अलग जत्थों ने शुक्रवार को महंत शिवराम दास व हरि बोल बाबा के नेतृत्व में अलग-अलग समूह बनाकर साधु संत एवं ग्रामवासी ने आस पास के गांवों में जाकर सघन जनसंपर्क कर ग्रामीणों को जागरूक किया।
धरना स्थल पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए हरि बोल बाबा ने कहा कि हम साधुओं के लिए अब यह आर पार की लड़ाई है। या तो खनन बंद होगा नहीं तो फिर हम अपने प्राणों को त्याग कर ठाकुर जी के धाम को जाएंगे। उन्होंने कहा कि क्रांति यात्रा इस आंदोलन की अंतिम कड़ी है । इसके बाद सरकार को साधु - संतों की जायज मांग को मानना ही पड़ेगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर मजबूर हो कर भारी तादाद में साधु संत आमरण अनशन करेंगे या आत्मदाह का प्रयास भी कर सकते हैं। आदि बद्री के महंत शिवरामदास ने कहा कि ब्रज का प्रत्येक ब्रजवासी श्रीकृष्ण की लीला स्थलों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर है के लिए वह हर सीमा तक जाने को तैयार है। इस बार सरकार को अपनी हठधर्मिता छोड़कर अपने किए हुए वायदे को पूरा करना ही पड़ेगा ।
जयपुर में आंदोलनकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश के गृह सचिव अभय कुमार व पुलिस महानिदेशक से मुलाकात कर 25 जुलाई से शुरू हो रही क्रांति यात्रा व उससे संबंधित कार्यक्रमों की जानकारी दी और साथ ही स्पष्ट किया कि अब साधु संतों व स्थानीय ग्रामवासियों के धैर्य की सीमा खत्म हो चुकी है। वह अपनी पौराणिक संपदा, संस्कृति, धर्म व पर्यावरण की रक्षा के लिए हर संभव संघर्ष करने के लिए तैयार है। पूर्व विधायक संरक्षण समिति के मुख्य सदस्य गोपी गुर्जर ने गृह सचिव को आंदोलनकारियों के इरादो से अवगत कराते हुए बताया कि अगर सरकार द्वारा 4 अगस्त तक अपना वादा नहीं पूरा किया गया तो उसे बड़ी संख्या में साधु-संतों का उग्र प्रदर्शन व रोष आमरण अनशन आदि के माध्यम से झेलना पड़ेगा तथा इससे उत्पन्न होने वाली किसी भी प्रकार की कानून व शांति से संबंधित अव्यवस्था के लिए सरकार ही जिम्मेदार होगी। उनके साथ इस प्रतिनिधिमंडल में पूर्व विधायक मोतीलाल खरेरा, महंत शिवरामदास, मान मंदिर के स्वामी राधाप्रिय आदि शामिल थे।