अखिल राजस्थान प्रबोधक संघ जबरन वेतन कटौती का करेगा विरोध
मकराना (नागौर, राजस्थान) अखिल राजस्थान प्रबोधक संघ ने सरकार को चेतावनी देते हुए वेतन कटौती के विरोध की बात कही है। राज्य सरकार द्वारा शिक्षकों, प्रबोधको तथा कर्मचारियों की जबरन वेतन कटौती की गई तो संगठन द्वारा विरोध किया जाएगा। अखिल राजस्थान राज्य संयुक्त कर्मचारी महासंघ एकीकृत राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष केसर सिंह चंपावत ने महासंघ के समस्त घटक दलों से आह्वान किया है कि वे इस वेतन कटौती का पुरजोर विरोध करें। प्रदेश कार्यालय मंत्री अखिल राजस्थान प्रबोधक संघ के मोहम्मद यूसुफ नकवी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा पूर्व में भी इस तरह का निर्णय लिया गया था जिसके विरूद्ध अखिल राजस्थान कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत द्वारा माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर के समक्ष रीट याचिका 11073/2020 दायर करते हुए राज्य सरकार द्वारा आदेश दिनांक 8 सितम्बर 2020 को चुनौती दी गई याचिका संघ के प्रदेश अध्यक्ष केसर सिंह चंपावत द्वारा दायर की गई संघ की तरफ से अधिवक्ता कुलदीप माथुर एवं धीरेंद्र सिंह सोडा द्वारा पैरवी करते हुए तर्क दिया की वेतन कर्मचारियों का संवैधानिक अधिकार है जिसको बिना कर्मचारी की सहमति दिए किसी प्रकार की कटौती नहीं की जा सकती। ऐसे में सरकार द्वारा कर्मचारियों के वेतन मैं प्रतिमाह वेतन कटौती का आदेश विधि विरुद्ध होने से अपास्त किए जाने योग्य है, जिस पर माननीय न्यायधीश दिनेश मेहता द्वारा प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात सरकार से जवाब तलब करते हुए नोटिस जारी किए गए एवं साथ ही इस आशय का स्थगन आदेश प्रदान किया गया कि आगामी आदेश तक सरकार द्वारा कर्मचारियों के वेतन में से की गई कटौती को सरकार आपदा कोष मैं जमा नहीं करेगी और इस कटौती को एक अलग अकाउंट में रखा जाएगा। यह रिट याचिका वर्तमान में भी राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में विचाराधीन है जिस पर अभी अंतिम निर्णय होना शेष है, हाल ही में राज्य सरकार द्वारा पुनः कर्मचारी संगठनों पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह अपने कर्मचारियों को स्वैच्छिक वेतन कटौती हेतु समर्पण पत्र नियुक्ति अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करें ताकि कर्मचारियों के वेतन में स्वैच्छिक आधार पर वेतन कटौती की जा सके। सरकार का यह निर्णय विधि विरुद्ध एवं राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व पारित आदेश की भावना के अनुरूप नहीं है। उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में अंतिम निर्णय देते समय यह स्पष्ट कर दिया गया था कि कर्मचारियों के वेतन में से किसी तरह की कोई भी कटौती करना गैरकानूनी ही नहीं बल्कि उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है क्योंकि कर्मचारी को वेतन दिया जाता है वह उनकी सेवाओं के लिए दिया जाता है ना कि उन्हें दान के रूप में दिया जाता है। वेतन किसी कर्मचारी का मूलभूत अधिकार है इसे सरकार द्वारा इस तरह कटौती के माध्यम से कांटा नहीं जा सकता। प्रबोधक, शिक्षक और कर्मचारी अपनी जान की बाजी लगाकर इस महामारी से बचाव के कार्यों में लगे हुए हैं। हरलाल सिंह डूकिया कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष अखिल राजस्थान प्रबोधक संघ बताया कि कोरोना की ड्यूटी के दौरान सरकार द्वारा कोई भी सुरक्षा के संसाधन कर्मचारियों को उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं बल्कि कर्मचारी अपने खर्चे पर सुरक्षा के उपाय करते हुए सेवा कार्य कर रहे हैं ऐसे में जबरन वेतन कटौती अनुचित है और अस्वीकार्य है।
- रिपोर्ट- मोहम्मद शहजाद