एक तरफ गौपालन मंत्री कहते हैं गौतस्कर इलाका छोड़ भागेंगे और यंहा दिनदहाड़े होती है गौकशी
बलरामपुर व रूंध के गिदावडो में बीफ की मंडी का बड़ा कारोबार, रोजाना 20 से अधिक गायों की होती है बली ,हाईवे रोड पर बिकने वाली बिरयानी में बीफ के साथ 50 गांव तक होती है होम डिलीवरी ।
अलवर (राधेश्याम गेरा) रामगढ़ विधानसभा के बलरामपुर व रूंध गांव के गिदावडों में हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां पर खुलेआम बीफ की मंडी चलती दिखाई दी । यहां से लगभग 50 गांवों तक रोजाना बीफ की होम डिलीवरी दी जा रही है । यंहा रोजाना 20 से अधिक गाय काटकर बेची जा रही है। मीडिया को मिली फुटेज में दिखाई दे रहा है कि ग्रामीण लोग मोटरसाइकिलों पर गाय का मांस खरीद कर ले जा रहे हैं । इससे साबित होता है कि रामगढ़ क्षेत्र के पिपरोली, अलावडा व अन्य गांवों सहित हाईवे रोड पर खुलेआम बिकने वाली बिरयानी में गौमांस हो सकता है ।
कांग्रेस पार्टी के सचिव बलराम यादव ने कहा एक तरफ तो सरकार लंबे-लंबे वादे कर रही है गोकशी करने वालों की अब खैर नहीं वही पालनहार मंत्री जवाहर सिंह बेडम हर सभा में मंच से कहते हुए नजर आते हैं कि अब गोतस्कर इलाका छोड़कर भागेंगे साथ यह भी कहते हैं जो गो तस्करी करेगा उसको जेल का रास्ता दिखाएंगे । जबकि इन फुटेज को देखकर यह साबित होता है कि सरकार के वादे झूठे साबित होते नजर आ रहे हैं । रामगढ़ किशनगढ़ क्षेत्र में भयंकर गोकशी का कारोबार चल रहा है लेकिन स्थानीय प्रशासन कार्रवाई के नाम पर चुप्पी साधे बैठे हैं ।
प्रदेश कांग्रेस पार्टी के सचिव बलराम यादव ने इन दृश्य को देखकर भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कहीं तो सरकार की नाकामी के चलते यह कारोबार खुलमें में चल रहा है । एक तरफ भाजपा के मंत्री लंबे-लंबे दावे कर रहे हैं की गोकशी करने वालों अब अपना इलाका छोड़कर भागेंगे लेकिन इतने बड़े कारोबार को चलने से साफ जाहिर होता है कि इसमें प्रशासन व भाजपा के नेता भी इंवॉल्व हो सकते हैं। गौरतलब है कि बलराम यादव ने ही इस कारोबार का खुलासा किया है और लगभग 15 दिनों से इस कारोबार पर पैनी नजर बनकर बैठे थे ।
पास बंधी गायें, चादर पर सजा रखा था बीफ- अलवर से करीब 65 किमी दूर मोटूका चौक होकर रिपोर्टर रूंध गिदावड़ा गांव के पास पहुंचे। रास्ते में टीलों पर बैठे युवा- बच्चे हर बाहरी आदमी की निगरानी कर रहे थे। बीफ मंडी के बारे में पूछा तो किसी ने नहीं बताया। हालांकि, स्थानीय ग्रामीण साथ होने पर जाने दिया। आगे पहुंचे तो जंगल में 8 जगह मुंह बंधी गायें पेड़ व खूंटों से बंधी मिली। पता चला इन्हें अभी काटा जाना था। कुछ आगे चले तो 3 जगह लोग गाय काटते दिखे। खाल उतार मौके पर ही गंडासे से बीफ काटने में जुटे थे। वहां से कुछ मीटर दूर चादर बिछा कर लोग तौल के भाव से बीफ बेच रहे थे।
150 रुपए किलो तक भाव - ग्राहक बने रिपोर्टरों को 100 से 150 रुपए किलो भाव बताया गया। आठ से 10 लोग दूर-दूर खड़े थे। पता चला ये लोग होम डिलीवरी वाले थे, जो गौमांस खरीदकर बाइकों पर सप्लाई करते हैं। बिना नंबर की बाइकें भी चोरी की होती हैं, ताकि पकड़े जाने पर कोई और फंसे। बीफ को मीट ना बोलकर कोड वर्ड में सफेदा व सब्जी के नाम से मांगा जा रहा था।
अवशेषों को जमीन में गाड़ देते हैं- यहां पहुंचने पर पता चला कि मंडी दोपहर में 12 से 3 बजे मंडी लगती है। यहां शाम तक गाय का पूरा मांस बिक जाता है। बाकी अवशेष ड्रिल मशीन से गड्ढे खोदकर दबा देते हैं। तस्कर 5 हजार में 6 गायें लाकर देते हैं। हर गाय का करीब 160 किलो मांस, खाल, हड्डी बेचकर 30 से 40 हजार रुपए तक कमाए जाते हैं। मंडी में डेली 10 से ज्यादा गायें कटती हैं।
होम डिलीवरी भी उपलब्ध - किशनगढ़बास से बिरसंगपुर तक करीब 22 किमी रास्ते में 50 से ज्यादा मांस-बिरयानी के ठेले-दुकानें हैं। ज्यादातर पर बीफ ही बिकता है। इसी तरह की 300 से ज्यादा दुकानें किशनगढ़बास, तिजारा, रामगढ़ और अलवर के गाजूका तक नजर आईं। बाइक सप्लायरों ने वॉट्सऐप ग्रुप बना रखे हैं। ताकि अनजान लोग नेटवर्क में ना घुस सकें। इसी पर ऑर्डर लेकर होम डिलीवरी देते हैं।