अलवर जिला भी ब्लैक फंगस की चपेट में राज सरकार ने माना महामारी
ब्लैक फंगस के बढ़ रहे मामले ब्लैक फंगस को भी राज्य सरकार ने माना महामारी
अलवर (राजस्थान/ गिर्राज सौलंकी) प्रदेश में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों ने सरकार को चिंता में डाल दिया है। जयपुर, अजमेर, जोधपुर, कोटा, अलवर उदयपुर समेत कई जिलों में इसके करीब 400 मामले हैं।
प्रदेश में ब्लैक फंगस नोटिफाइड डिजीज घोषित नहीं थी। इसलिए सरकार के पास इसके आंकड़े भी नहीं हैं। राज्य सरकार ने हरियाणा की तर्ज पर इसे नोटिफाइड डिजीज घोषित कर दिया है। ब्लैक फंगस नोटिफाइड डिजीज घोषित हो जाने पर सरकारी व निजी अस्पतालों को मरीजों और मौत की रिपोर्ट देना जरूरी होगा ।
विभाग के पास मरीज का हर डेटा होगा । स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोरा के अनुसार, मलेरिया-डेंगू की तरह इसे भी नोटिफाइड डिजीज अधिसूचना आज दिनांक 19 /5 को जारी कर घोषित कर दिया गया है।
ऐसे होता है शरीर में दाखिल : कोरोना से उबरे लोग हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से भी फंगस की चपेट में आ सकते हैं। इसके अलावा स्किन पर चोट, रगड़ या फिर जले हुए भाग से भी यह शरीर में दाखिल हो सकता है।
ये हैं लक्षण
निदेशक के मुताबिक ब्लैक फंगस में आंख में लालपन और दर्द, बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी में खून या मानसिक स्थिति में बदलाव से इसकी पहचान की जा सकती है। यह संक्रमण अधिकतर उन मरीजों में देखने को मिला है, जो डायबिटीज से पीड़ित हैं। वह बताते हैं कि एम्स ऋषिकेश में भर्ती कुछ कोविड मरीजों में ब्लैक फंगस के लक्षण मिल रहे हैं। इनकी विशेषज्ञ चिकित्सक निगरानी कर रहे हैं।