आदि बद्री और कंकाँचल पर्वतों के वन क्षेत्र में स्थानांतरण में हो रही देरी के खिलाफ साधु संतों में रोष
आज पसोपा में धरना स्थल पर ब्रजवासियों व साधुसंतों की महापंचायत, साधु-संतों के साथ ब्रज 84 कोस यात्रा के 5000 से अधिक पद यात्री पसोपा में धरने पर बैठेंगे।
ड़ीग (भरतपुर, राजस्थान) आदिबद्री और कनकाचल पर्वत को खनन मुक्त कराने के लिए डीग तहसील के गांव पसोपा में जारी धरने के 302 वे दिन शुक्रवार को धरना स्थल पर विशेष बैठक आहूत की गई। जिसमें आगामी रणनीति को लेकर गंभीर चर्चा हुई । बैठक को संबोधित करते हुए आदिबद्री के महंत शिवराम दास व सचिव ब्रजदास ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा एक अक्टूबर को ब्रज के परम आराध्य पर्वत आदिबद्री और कनकाचल के रक्षण की हमारी अतिमहत्वपूर्ण मांग को मान कर और अविलंब कार्रवाई करने के आदेश दिए थे ।जिसके उपरांत भरतपुर के जिलाधिकारी हिमांशु गुप्ता ने तत्परता दिखाते हुए दोनों पर्वतों को वन क्षेत्र में स्थान्तरित करने के लिए प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे । लेकिन राजस्व मंत्रालय की ढिलाई के कारण अभी तक उस प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है
जबकि दोनों पर्वतों का भारी मात्रा में सभी नियमों को ताक में रखकर खनन कर विनाश जारी है। राधारानी ब्रज 84 कोस पदयात्रा के संयोजक राधाकांत शास्त्री ने कहा कि शनिवार को हमारी यात्रा आदिबद्री क्षेत्र में पहुंचेगी जिसमें 5000 से अधिक पदयात्री हैं । यात्रा समिति व पद यात्रियों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि सभी पद यात्री शनिवार को दोनों पर्वतों के रक्षार्थ पसोपा में चल रहे अनिश्चितकालीन धरने में सम्मिलित होकर राजस्व मंत्रालय द्धारा इस संबंध में किए जा रहे अनावश्यक विलंब के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शित करेंगे।