खेतों में निराई गुड़ाई में व्यस्त है अन्नदाता, बिन बारिश के मुरझाने लगी फसलें
बहरोड़ (अलवर, राजस्थान) इन दिनों तेज धूप और भीषण गर्मी में किसान फसल में खरपतावार को नष्ट करने के लिए निराई गुड़ाई में व्यस्त है। विशेषकर कपास की फसल में खरपतवार करने में जुटे हुए है। जानकारी के अनुसार कुछ दिन पहले ताउते तुफान के बाद हुई अच्छी बारिश के साथ ही अधिकतर कास्तकारों ने ग्वार, बाजरा व कपास फसल की बुवाई कर दी थी। लेकिन उसके बाद से तेज धूप एवं भीषण गर्मी होने और बारिश नहीं होने के चलते फसलें मुरझाने लग गई हैं। कास्तकारों का कहना है कि इन दिनों केवल सिंचाई से फसल को नहीं बचाया जा सकता है। मौसम में परिवर्तन के साथ बारिश भी जरूरी है। फिर भी कास्तकार भीषण एवं तेज धूप की परवाह किये बिना इस आशा के साथ कि जल्दी ही बारिश आयेगी, खरपतवार नष्ट करने के लिए खेतों में जुटे हुए हैं। आपको बता दें कि जून महीने में बोई जाने वाली कपास की फसल में खरपतवार की समस्या बहुत अधिक रहती है। जिसके लिए अधिकतर किसान ट्रेक्टरों खुरपी से निराई गुड़ाई कर रहे हैं। छोटे किसान फावड़ा खुदाली से दिनभर तेज धूप में मेहनत कर खरपतवार खत्म कर रहे हैं। वहीं कुछ कास्तकार इस मशीनी युग में भी उंट-हल से निराई गुड़ाई कर रहे हैं। ऐसे कास्तकार खेती के काम में उंट-हल और उंट-गाड़ी को काम में लेकर अच्छा महसूस कर रहे हैं। खेती और यातायात के क्षेत्र में हुए मशीनीकरण ने ऊँट को हाशिए पर धकेल दिया है। वहीं ऊँट पालने वाले लोगों ने आर्थिक दिक्कतों के कारण ऊँट पालना छोड़ दिया है। वहीं बहरोड़ क्षेत्र के मगनीसिंह की ढाणी में उंट के पीछे हल जोड़कर कपास की फसल में निराई गुड़ाई कर रहे एक किसान पवन ने बताया कि मैं हर बार मेरी अपनी और कुछेक अन्य कास्तकारों की कपास की फसल में उंट-हल से निराई गुड़ाई करने का काम करता हूॅ। उंट-हल के द्वारा कपास के एक एक पेड़ को बचाकर सहूलियत के अनुसार निराई गुड़ाई करने में आसानी होती है। एक दिन में दो बीघा फसल में निराई गुड़ाई कर देता हूॅ। पवन का कहना है कि आधुनिक मशीनी युग में क्षेत्र में उंटों की संख्या बहुत कम हो गई है। लेकिन यों ही चलता रहा, डीजल पैट्रोल की महंगाई बढ़ती रहीं तो फिर एक बार उंट और बैलों का समय आयेगा। लोग उंट और बैलों से खेती करना पसंद करेंगे। बिन बारिश के फसल के मुरझाने से कास्तकारों को बारिश का बेसब्री से है इंतजार है।
- रिपोर्ट:- योगेश शर्मा