कर्फ्यू या लॉकडाउन लगाने से पूर्व गरीब और बेसहारा लोगो के ऊपर भी डाले नजर

Apr 19, 2021 - 02:56
 0
कर्फ्यू या लॉकडाउन लगाने से पूर्व गरीब और बेसहारा लोगो के ऊपर भी डाले नजर

लक्ष्मणगढ़ (अलवर, राजस्थान/ गिर्राज सौलंकी) लक्ष्मणगढ़ कस्बे में कोरोना महामारी को देखते हुए राज्य सरकार व केंद्र सरकार के आदेशानुसार लग रहे कर्फ्यू में लक्ष्मणगढ़ में नियम कायदे इतने सख्त है ,की स्थिति लॉकडाउन से भी कठोर है। यहां बाजार में ना फ्रूट सब्जी की दुकान खुली है। ना ही अन्य खाद्य पदार्थ की दुकानें खुली। जिससे आमजन का तो जीना दुर्लभ हो गया है। ऐसे में ही लक्ष्मणगढ़ कस्बे के अंदर करीब मगर 70 ,80 लोगों का ऐसा जोकि नित्य कुआं खोदे और नित ही पानी पिए। फिर ऐसे व्यक्तियों के लिए स्थानीय प्रशासन ने क्या कुछ व्यवस्था की है। यह कुछ परिवार गडरिया लुहार, कुछ परिवार साटा जाति के हैं । जिनमें से गडरिया लोहारों का तो लोहे के सामान बनाने का है जैसे टाचा, कुल्हाड़ी, चिमटा पलटा इत्यादि, और साटा  जाति लोगों का मुख्य व्यवसाय जूते चप्पलों की पॉलिश करना उनकी मरम्मत करना इनकी महिलाओं के उनके बच्चों का भीख मांगना मुख्य उद्देश है । कस्बे में मौसम के मिजाज के कारण इनके आशियाने हो चुके हैं हवा हवाई ये बेचारे अपने टेंट तंबूओ में लगभग 30 वर्षों से जीवन यापन करते आ रहे हैं पर हर बार इनके टेंट तंबू आंधी झक्कड़ बेमौसम की भेंट चढ़ जाते हैं। पर यह भी हार नहीं मानते हैं।बार-बार अपने आशियाने बनाते हैं पर कहां गई सरकार की योजनाएं क्या प्रधानमंत्री जन आवास योजना से नहीं बन सकते उनके लिए कोई आवास चलो आवास की तो बाल की बात है। इन दिनों संपूर्ण कस्बा बंद है कर्फ्यू के दौरान ऐसे में इनकी रोजी-रोटी पर संकट आ खड़ा हुआ है। सरकार को प्रशासन को जनप्रतिनिधियों को भामाशाह को इनकी पीड़ा पर ध्यान देना चाहिए यह भी भारत के मूल निवासी है वर्षों से इसी गांव में आशा और उम्मीद के साथ निवास करते हैं यह भी भारत के वोटर हैं वोट से लिए जाते हैं पर सुविधाएं के नाम पर कुछ नहीं ऐसे में इनके लिए दो वक्त की रोटी कर्फ्यू के दौरान लॉकडाउन के दौरान तो मिलनी चाहिए भामाशाह को चाहिए कि इंदिरा रसोई के द्वारा इन्हें₹8 में दिए जाने वाला भोजन तो मिले वही तो इनके आगे भगवान बन कर आए अब देखना यह है की जनप्रतिनिधि और प्रशासन कितना संजीदा होते हुए इनके आगे इस भले काम में आगे आता है। यह बेचारे कल कल आती धूप में बंद दुकानों के सहारे छाए में अपना जीवन यापन कर रहे हैं धूप इधर आती है तो यह उधर हो जाते हैं दो उधर आती है तो यह इधर हो जाते हैं। पर क्या करें पापी पेट का सवाल है इनके बच्चे छोटे-छोटे जो भूख से व्याकुल हो रहे हैं कोरोना संक्रमण के चलते किसी के घर पर भीख भी मांग नहीं सकते हर व्यक्ति इन्हें थूतकार्ता है भगा देता है। पीने का पानी भी नसीब नहीं इधर विधर पानी की तलाश में प्रयासों पर जाते हैं । ऐसे में बच्चों की भूख और प्यास की व्याकुलता को देखते हुए इनकी महिलाएं अपने पैर की पाजेब आभूषणों को गिरवी तक रखने को तैयार है पर क्या करें बाजार में किसी की दुकान तक भी खुली नहीं है क्या कस्बे में यही मानवता है यही इंसानियत है अगर जिंदा है तो प्रशासन और जनप्रतिनिधि सामने आए प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने इनका शोषण शोषण किया है इनसे वोट तो लेते हैं पर सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं हो सकता है इनमें कुछ गलत आदत हो यह 5 साल में एक रात को शराब पीकर अपना वोट बेच देते हैं नेता मात्र 5 साल में एक रात दिन के डेरे तंबू पर आते हैं और मात्र 30 ₹40 का एक पव्वा देख कर के और इनके वोट की खरीद फरोस्त कर देते हैं। क्या राजस्थान के लक्ष्मणगढ़ में यही न्याय है, क्या यही मानवता है। आखिर क्यों नहीं पढ़ा है इनका एक भी व्यक्ति क्यों नहीं बनता है इनका नेता क्यों नहीं है यह नौकरी पर कभी किसी ने सोचा। कहां गया शिक्षा का अधिकार किसने छीना कौन है जिम्मेदार, जरा सोचो।।।।।

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

एक्सप्रेस न्यूज़ डेस्क बुलंद आवाज के साथ निष्पक्ष व निर्भीक खबरे... आपको न्याय दिलाने के लिए आपकी आवाज बनेगी कलम की धार... आप भी अपने आस-पास घटित कोई भी सामाजिक घटना, राजनीतिक खबर हमे हमारी ई मेल आईडी GEXPRESSNEWS54@GMAIL.COM या वाट्सएप न 8094612000 पर भेज सकते है हम हर सम्भव प्रयास करेंगे आपकी खबर हमारे न्यूज पोर्टल पर साझा करें। हमारे चैनल GEXPRESSNEWS से जुड़े रहने के लिए धन्यवाद................