मोबाइल के दौर में अभी भी है कैलेंडर का चलन, कैलेंडर को नहीं पछाड़ पाया मोबाइल
रूण (नागौर, राजस्थान/ फखरुद्दीन खोखर) नववर्ष की शुरुआत के साथ ही मेड़ता उपखण्ड के ग्राम रूण, खजवाना, गवालू, भटनोखा, इंदोकली, धवा, चिंताणी और असावरी सहित कई गांवों और शहरों में इन दिनों कैलेंडर और पंचांग की बिक्री जोरों पर चल रही है। नव वर्ष लगने के एक महीने पहले से लेकर पूरे वर्ष तक ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कैलेंडर और पंचांग की मांग बरकरार रहती है, ऐसे में कैलेंडर की दुकानें जगह जगह सजने लगती है, वर्तमान में मोबाइल का दौर होने पर भी कैलेंडर ने अपनी छवि बरकरार रखी है और छवि बरकरार रहेगी। ग्रामीण सुरेश लालरिया, सैयद नूरमोहम्मद, हनुमान शर्मा ने बताया मोबाइल ने टॉर्च, टेप, रेडीयो, टीवी, कांच, कैमरा और अन्य जानकारियों की उपलब्धता के कारण उपरोक्त सभी बिजनेस को ठप कर दिया है, लेकिन मोबाइल कैलेंडर और पंचांग को नहीं पछाड़ पाया है, इसका मुख्य कारण यह है कि कैलेंडर में अंग्रेजी तारीख, वार, त्यौहार की जानकारी मिल जाती है, लेकिन विक्रम संवत, नक्षत्रों की जानकारी देना मोबाइल के बस की बात नहीं है। ऐसे में ग्रामीण हो या शहरी क्षेत्र सब जगह अभी भी कैलेंडर का प्रचलन चल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में कैलेंडर, डायरिया और नक्षत्रों की जानकारी देने वाले कैलेंडर की मांग ज्यादा होती है। गांव रूण के गणपतलाल शर्मा, रामरतन शर्मा, घींसाराम बेनीवाल और राजेंद्र सर्वा ने बताया कैलेंडर सनातन धर्म से चला आ रहा हैबऔर कैलेंडर या पंचांग के बिना कोई भी शादी या मुहूर्त नहीं निकाला जा सकता। इसकी होड़ मोबाइल नहीं कर सकता हैं। इसी प्रकार आज के जमाने के किसान खेती भी नक्षत्रों के आधार पर करते हैं, इसीलिए किसानों की पसंद भी कैलेंडर और पंचांग है। इसीलिए हर दुकान पर कैलेंडर और पंचांग खरीदते हुए ग्रामीणों और शहर में देखा जा सकता है।