जैन धर्म के दूसरे तीर्थकर भगवान अजितनाथ का जन्म एवं तप कल्याण महोत्सव मनाया
डीग (भरतपुर,राजस्थान/ पदम जैन) ड़ीग मे जैन धर्म के दूसरे तीर्थकर भगवान अजितनाथ का जन्म एवं तप कल्याणक महोत्सव सोमवार को समारोह पूर्वक मनाया गया। इस मौके पर शहर के पुरानी डीग स्थित श्री चंद्राप्रभु दिगंबर जैन मंदिर में विशेष आयोजन किए गए सुबह जयकारों के बीच भगवान अजितनाथ का अभिषेक, विश्व में सुख शांति की मंगल कामना के साथ शांति धारा की गई इसके बाद अष्ठ द्रव्य से पूजा अर्चना की गई। पूजा के दौरान भगवान के जन्म एवं तप कल्याणक के अर्घ चढ़ाए गए।जैन समाज के सदस्य सुरेश जैन ने बताया कि भगवान आजितनाथ का जन्म पवित्र नगरी अयोध्या में राजा जितशत्रु एवं महारानी विजया देवी के यहां हुआ था। प्रभू के मात्र माता के गर्भ में आने के बाद राजा जितशत्रु किसी भी प्रतिद्वंदी राजा से युद्ध में नहीं हारे इसलिए महाराज की यशोकीर्ति सर्वत्र अजेय रही इसी तथ्य को प्रकट कर महाराज ने अपने पुत्र का नाम आजितनाथ रखा। भगवान का चिन्ह हाथी था हाथी शाकाहारी एवं बुद्धिमानी प्राणी माना जाता है। युद्ध के मैदान में आगे रहकर शत्रुओं का सामना करता है इसलिए जीवन संग्राम में आगे रहकर कठिनाइयों से मुकाबला कर के विजय श्री प्राप्त करने की प्रेरणा देता है हाथी की लंबी सूंड अपनी ग्रहण शक्ति को विकसित करने की शिक्षा की है। हाथी के बड़े-बड़े कान सभी की बातें सुनकर अपने पेट में रखने की शिक्षा देते हैं। इस अवसर पर गोपाल जैन, कोकाराम जैन, धर्मेंद्र जैन, भारत भूषण, वीरेंद्र, गोपी, सुशील, सुनील, हरीबाबू, वंशु सहित काफी संख्या में महिलाएं एवं पुरुष उपस्थित थे