भगवान महावीर की जयंती पूजा अर्चना कर घर पर ही सादगी से मनाई
लक्ष्मणगढ़ (अलवर, राजस्थान/ गिर्राज सौलंकी) एकादशी तिथि के ठीक दो दिन यानि 25 अप्रैल को महावीर जयंती का पर्व मनाया गया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन को भगवान महावीर के जन्म उत्सव के तौर पर जैन धर्मावलंबियों द्वारा मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के 13वें दिन को धूम धाम से मनाया जाता हैं क्योंकि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन महावीर स्वामी का जन्म हुआ था। इनका जन्म बिहार के कुंडग्राम/कुंडलपुर के राज परिवार में हुआ था। इन्हें जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर के रूप में पूजा जाता है। प्रचलित कथाओं के अनुसार महावीर जयंती को उन 24 लोगों में से माना जााता है जिन्होंने तपस्या से आत्मज्ञान की प्राप्ति की थी। तीर्थंकर वह लोग होते हैं जो इंद्रियों और भावनाओं पर पूरी तरह से विजय प्राप्त कर लेते हैं।
उपखंड के लक्ष्मणगढ़ मौजपुर हरसाना बिचगावा बड़ौदामेव के जैन मंदिरों में पुजारियों द्वारा पूजा वअभिषेक किया गया मंदिरों में होने वाले सभी धार्मिक कार्यक्रम नहीं हुए । कोरोना संक्रमण के कारण सरकार के आदेशानुसार शोभा यात्राएं भी नहीं निकाली गई हैं। जैन समुदाय के लोगो ने इस दिन स्वामी महावीर के जन्म की खुशियां सादगी पूर्ण घर पर ही भगवान महावीर की पूजा अर्चना कर शाम को दीपको से आरती कर मनाई गई । भगवान महावीर ने दुनिया को सत्य, अहिंसा के कई उपदेश दिए थे। इन्होंने ही जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए थे वे- अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य।