खंडेलवाल समाज द्वारा बच्चे और उनके सपने कार्यक्रम किया गया आयोजित
कठूमर (अलवर,राजस्थान/ दिनेश लेखी) नदबई में सांस्कृतिक कार्यक्रम के अलावा मेहंदी ओर रंगोली प्रतियोगिता बच्चे देश के सबसे मूल्यवान संसाधान हैं और भविष्य की उम्मीदें हैं। इनके उचित शारीरिक मानसिक विकास के बिना एक उन्नत राष्ट्र की कल्पना संभव नहीं है। खेण्डलवाल समाज के अध्यक्ष राजेश महरवाल का कहना है कि वो आज खंडेलवाल समाज द्वारा आयोजित बच्चे और उनके सपने कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हर बालक अनगढ़ पत्थर की तरह है, जिसमें सुन्दर मूर्ति छिपी है, जिसे शिल्पी की आँख देख पाती है। वह उसे तराश कर सुंदर मूर्ति में बदल सकता है। माता-पिता, शिक्षक और समाज बालक को इसी प्रकार संवार कर खूबसूरत व्यक्तित्व प्रदान करते हैं। परिवार बच्चे के व्यक्तित्व निर्माण की पहली पाठशाला है। उसमें भी 'माँ' की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उसके प्रत्येक कार्य में रुचि लेते हैं, उसकी इच्छाओं का सम्मान करते हैं तो बालक में उत्तरदायित्व, सहयोग सद्भावना आदि सामाजिक गुणों का विकास होगा और वह समाज के संगठन में सहायता देने वाला एक सफल नागरिक बन सकेगा।
उन्होंने कहा कि बच्चों के प्रति हमारा व्यवहार शिष्ट एवं मर्यादित होना चाहिए। हमें उन्हें आत्म-सम्मान एवं आत्मविश्वास प्रदान करना चाहिए ताकि भविष्य में वे सम्मानित एवं सफल जीवन जी सकें। हमें बच्चों में कमियां ढूंढने के बजाय उनकी सोच को विकसित करने और उसमें सुधार करने में योगदान देना चाहिए। यदि हम बच्चों की कमियां उजागर करते हैं, तो उनका मनोबल गिरता है। यदि हम बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से करते हुए उसे बुद्धिहीन सिद्ध करते हैं, तो यह गलत है। ऐसा कदापि न करें। बच्चों के मित्र बनकर उनके साथ खुलकर बातचीत करें। उन्हें डराएं धमकाएं नहीं वरन सहायता का आश्वासन देकर उन्हें मानसिक उलझन से मुक्त करें। किसी टेस्ट या परीक्षा में कम अंक पाने पर उन्हें प्रताड़ित न करें। कारण की तह तक जाए, न कि पीटकर, अपशब्द बोलकर या डांटकर उन्हें शारीरिक व मानसिक दुख पहुंचाए। बचपन में ही बच्चों की रुचि, ऊर्जा को पहचानने की जरूरत होती है। हमें अपनी इच्छाएं उन पर थोपने के बजाय उन्हें सोच की आजादी देनी चाहिए। बच्चों को खेलने और गिरने दीजिए। गिरकर संभलना अधिक महत्वपूर्ण है। उनके अपने सपने हैं, जिन्हें वे पूरा करना चाहेंगे। महरवाल ने कहा कि हर बच्चे की तरह उनका अलग स्वभाव होता है। अलग पहचान होती है। कोई भी बच्चा किसी और की कॉपी नहीं होता। वे मौलिक रूप से एक-दूसरे से अलग होते हैं।
खंडेलवाल महिला मंडल की अध्यक्ष निशा मेठी ने कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ जीवन में स्पोर्ट्स व आर्ट की भी काफी अहमियत है। टीचर हों या फिर पैरेंट्स, उन्हें स्टूडेंट की भावनाओं को समझना चाहिए। वैसे अगर बच्चा गलती करे तो उसे जरूर डांटना चाहिए लेकिन अच्छे काम करने पर उसकी तारीफ भी करनी चाहिए। इससे बच्चे को प्रेरणा मिलती है, और उसके अंदर आगे बढ़ने की ललक पैदा होती है। जरूरी नहीं कि कोई बच्चा पढ़ाई में ही आगे जाए, स्पोर्ट्स, म्यूजिक, फरफार्मिग आर्ट आदि क्षेत्रों में अब विकल्पों की कमी नहीं है। हर बच्चे में टैलंट होता है। उसे निखारने की कोशिश होनी चाहिए। नृत्य प्रतियोगिता में खनक मेठी, ईशा महरवाल ओर पीहु मेठी, मेहंदी प्रतियोगिता में चारुल खंडेलवाल, निधि खंडेलवाल ओर हर्षिता खंडेलवाल ओर रंगोली में आरती पाटोदिया , निक्की महरवाल प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय ओर तृतीय स्थान पर रहे। इन सभी को पुरुस्कार वितरण भी किये गए। इस मौके पर अभिषेक बम्ब, कृष्णा बंब, सुदेश गुप्ता, नीतू पाटोदिया, नूतन मेठी, वीना मेठी, योजना मेठी ओर मिथलेश खंडेलवाल ने निर्णायक की भूमिका निभाई ओर मंच संचालन आशुतोष गुप्ता ने किया।