भरतपुर की कला और संस्कृति के लिए समर्पित राजेंद्र प्रसाद का निधन
भरतपुर,राजस्थान
भरतपुर - बृज की कला और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल उर्फ लाला का सोमवार को हृदयगति रुक जाने से 63 वर्ष की उम्र मे निधन हो गया।
इसकी प्रशंसा देश के मशहूर कवि एवं संस्कृति कर्मी अशोक वाजपेयी ने भी की थी। भरतपुर सांस्कृतिक परीपेक्ष्य में उनका निधन एक बड़ी क्षति है। राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल के ब्रह्मलीन हो जाने से एक व्यक्ति का निधन नहीं है, बल्कि भरतपुर के सांस्कृतिक आसमान से एक सितारे का अस्त हो गया है राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल उर्फ लाला वन मैन आर्मी की तरह काम करते थे। युवावस्था से ही लाला मित्र मंडली तरुण समाज समिति, हिंदी साहित्य समिति, खादी ग्रामोद्योग सहित कई संस्थाओं से जुडे़ हुए थे।
लाला अपनी कार्यशैली व कुशल दक्षता के चलते लगातार 35 साल तक मित्र मंडली के महामंत्री रहे और उन्होंने होली के मौके पर होने वाले रंगीलो महोत्सव को रसिया, रासलीला, कवि सम्मेलन, नौटंकी सहित हास्य-व्यंग्य से परिपूर्ण महामूर्ख शोभायात्रा जेसे नए आयाम दिए। मशहूर नौटंकी कलाकार चौधरी छज्जनसिंह उन्हें अपना मानस पुत्र कहते थे। साहित्य में उनकी अच्छी खासी रुचि थी। साथ ही मारवाड़ी भाषा के विरोध में चले आंदोलन में उनकी खास भूमिका रही ,वहीं मारवाड़ी को आठवीं अनुसूची में रुकवाने में उन्होंने बड़ा योगदान दिया। बिकने के कगार पर पहुंची हिंदी साहित्य समिति को बचाने में उन्होंने काफी मेहनत की।
वे पैदल ही सभी कामों को बड़ी तत्परता से करते थे, उन्हें वाहन चलाना नहीं आता था, वे कम बोलते जो प्रासंगिक होता था। दही वाली गली निवासी राजेंद्र अग्रवाल का स्वभाव भी दही की माफिक था। यानी जो उनके संपर्क में आया, वह उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता था। क्योकि वे चुने हुए शब्द, स्पष्टवादिता, अर्थपूर्ण भाषा, आत्मविश्वास और विनम्रता से भरा अनुरोध उनका गुण था।