अमेरिका ,इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया आदि देशों में भी किया जाएगा आदिबद्री और कनकाचल पर्वत पर हो रहे विनाशकारी खनन के खिलाफ प्रदर्शन -शास्त्री
150 से अधिक ग्रामवासी व वैष्णवों को दिलाई गई सक्रिय सदस्यता
ड़ीग (भरतपुर, राजस्थान/पदम जैन) ड़ीग के गांव पसोपा में कनकाचल व आदिबद्री पर्वत पर हो रहे विनाशकारी खनन के विरुद्ध चल रहे धरने के 208 वें दिन बुधवार को सक्रिय सदस्यता अभियान के पहले दिन संरक्षक राधाकांत शास्त्री व समन्वयक ब्रजकिशोर बाबा की उपस्थिति में आसपास के गांवो में आंदोलन से जुड़े डेढ़ सौ से अधिक ग्रामीण एवं वैष्णवों को आंदोलन की सक्रिय सदस्यता दिलाई गई । सभी नए सक्रिय सदस्यों ने भगवान आदिबद्रीनाथ के समक्ष ब्रज के पर्यावरण, पर्वतों व पौराणिक संपदा की रक्षा करने की शपथ ली ।
इस अवसर पर पूर्व विधायक गोपी गुर्जर ने कहा कि सक्रिय सदस्यता अभियान के माध्यम से ब्रज के सर्वांगीण विकास के लिए एक विशाल व मजबूत संगठन खड़ा किया जाएगा। जो सतत ब्रज के पर्यावरण, प्रकृति, संस्कृति व प्राचीन संपदा की रक्षा व संवर्धन के लिए तत्पर होगा । ब्रजकिशोर बाबा ने बताया कि इस अभियान के तहत ब्रज क्षेत्र के लगभग एक हजार से अधिक गांवों में समितियों का गठन किया जाएगा एवं हर दस गांव पर मंडल सचिव व संभाग प्रभारी नियुक्त कर इस अभियान को एक मजबूत संगठन का रूप दिया जाएगा ताकि अधिक से अधिक ब्रज वासियों व वैष्णवों की जिम्मेदारी तय की जा सके। राधाकांत शास्त्री ने कहा विदेशों में रह रहे ब्रज के भक्तों ने भी आदिबद्री व कनकाचल पर्वत पर हो रहे खनन के प्रति आक्रोश जताते हुए इसके विरोध में अपने देशों में विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति मांगी है। इस पर बुधवार को समिति ने निर्णय लिया है कि अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों के कुछ शहरों में जहां कृष्ण भक्तों और वैष्णवों की अधिकता है। वहां आदिबद्री व कनकाचल पर्वत पर हो रहे विनाशकारी खनन को लेकर प्रदर्शन किया जाए। जिससे राज्य सरकार के पास यह स्पष्ट संदेश पहुंचे कि पर्वतों के संरक्षण का विषय कोई स्थानीय मुद्दा नहीं है। अपितु पूरे विश्व भर के सनातन धर्मी व कृष्ण भक्त इस गंभीर प्रकरण से जुड़े हुए हैं। एवं सभी की मंशा है कि अविलंब ब्रज के दोनों परम आराध्य पर्वतों को खनन मुक्त कर संरक्षित किया जाए। बुधवार कोधरना स्थल पर नितिन दास, ओमप्रकाश, राधादास, राधारमण दास व शुकदेव क्रमिक अनशन पर बैठे। इस अवसर पर कई साधु-संतों और ग्रामीणों के अलावा भूरा बाबा, हरिबोल बाबा, महंत शिवराम दास, गौरांग बाबा, राधे श्याम, गोपाल मणि बाबा, राधारमण बाबा, सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।