डोरोली सरपंच पति राजनीति के चक्कर में भूला कर्तव्य
उपखण्ड अधिकारी व राजगढ़ थाना गोवंश अधिनियम से वाक़िफ नहीं
अलवर जिले की रैणी तहसील अन्तर्गत ग्राम पंचायत डोरीली में गावं नांगल गंगा गुरु के जंगल में एक गोवंश जिसकी उम्र लगभग 2 साल है, उपखण्ड अधिकारी पुलिस प्रशासन व स्थानीय सरपंच पति छज्जूराम गुर्जर को सूचना देने के बाद भी गोवंश पैर से अपाहिज होकर इस भरी गर्मी में एक जगह पड़े रहने को मजबूर है। इन अधिकारी कर्मचारियों ने गोवंश को सुरक्षा संरक्षा देने की बजाय जंगल में मरने के लिए छोड़ दिया है। गोरक्षा हिंदू दल मिडिया प्रभारी ने समय रहते हुए इन सभी अधिकारियों को गोवंश की माली हालत के बारे में जानकारी दी लेकिन समाधान तीन दिन बाद भी नहीं हो पाया।
यही नहीं प्रदेश अध्यक्ष ने भी गोवंश सुरक्षा संरक्षा के बारे में राजगढ़ थाने को बताया लेकिन प्रदेश अध्यक्ष की बात को भी पुलिस ने कोई तवज्जो नहीं दी व गोवंश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए कोई कदम नहीं उठाया। तीन दिन पहले उपखण्ड अधिकारी ने इस गोवंश को वेटनरी कम्पाउन्डर से प्राथमिक उपचार अवश्य कराया लेकिन गोवंश का पैर टूटा होने के कारण हिलने डुलने में सक्षम नहीं है। यदि इस गोवंश का समय रहते उपचार नहीं हुआ तो यह यही पर दम तोड देगा। गोवंशीय पशु के लिए राज्य सरकार ने पूर्ण रूपेण सुरक्षा संरक्षा निश्चित की है लेकिन यह सब कागजों में ही सीमित रह गई है। क़ानून के रखवाले ही क़ानून को तोडते नजर आ रहे हैं। माना कि गोवंश किसी किसान का है लेकिन किसान का होने से पहले वो सरकारी है जिसे नकारा नहीं जा सकता, आज किसान अपने बच्चो को पाले या गोवंश को पाले यदि किसान को गोवंश मूत्र व गोबर का दाम मिलने शुरू हो जायेगा तो यही गोवंश किसान द्वारा पूर्ण सुरक्षित संरक्षित हो सकेगा। आज विषम परिस्थिति किसान के सामने भी है तो गोवंश के सामने भी है, इस आर्थिक युग में किसान के लिए गोवंश समस्या बन चुका है लेकिन समाधान भी यहा से निकलेगा, आज किसान के संसाधनों को नष्ट किया जा रहा है, गोवंश भी किसान का संसाधन है इसे भी नष्ट किया जा रहा है, यदि गोवंश मूत्र व गोबर खरीद शुरू हो गई तथा उद्योग स्थापित हो गए तो यही गोवंश किसान की आर्थिक समृद्धि का आधार बन सकता है।