77 दिन से बंद धर्मस्थलों के खुलने पर अभी संशय

गत 21 मार्च से बंद यहां के प्रमुख धार्मिक आस्था व श्रद्धा के केन्द्र श्रीकैलादेवी झील का बाडा के प्राचीन मंदिर सहित यहां के व भरतपुर जिले के अनेक प्रमुख मंदिर व अन्य धर्मस्थल बंद पडे है। जिनमें केवल नियमित पारम्परिक पूजा पाठ का कार्य ही हो पा रहा है। इस कार्य के दौरान भी पुजारी या सेवक के अलावा अन्य किसी का प्रवेश निषेध बताया है।

Jun 7, 2020 - 01:37
 0
77 दिन से बंद धर्मस्थलों के खुलने पर अभी संशय

बयाना भरतपुर

बयाना 06 जून। कोरोना संकट व लाॅकडाउन के चलते 77 दिन से बंद पडे यहां के विभिन्न धार्मिक स्थलों के खुलने को लेकर अभी संशय के हालात बने हुए है। गत 21 मार्च से बंद यहां के प्रमुख धार्मिक आस्था व श्रद्धा के केन्द्र श्रीकैलादेवी झील का बाडा के प्राचीन मंदिर सहित यहां के व भरतपुर जिले के अनेक प्रमुख मंदिर व अन्य धर्मस्थल बंद पडे है। जिनमें केवल नियमित पारम्परिक पूजा पाठ का कार्य ही हो पा रहा है। इस कार्य के दौरान भी पुजारी या सेवक के अलावा अन्य किसी का प्रवेश निषेध बताया है। ऐसी स्थिती में मंदिर मस्जिद गुरूद्वारों के श्रद्धालुओं को दर्शन, पूजा पाठ, भोग प्रसादी, आदि सेवा के अवसर भी नही मिल पा रहे है। जिससे श्रद्धालुओं में काफी निराशा है। 21 मार्च से बंद पडे विभिन्न धार्मिक स्थलों को पूर्व में 30 अप्रेल, फिर 15 मई, फिर 31 मई और उसके बाद 8 जून को खोलने की संभावना व्यक्त की गई थी। किंतु अब भी कोरोना संकट की परिस्थतीयों को देखते हुए लम्बे अरसे से बंद पडे मंदिर गुरूद्वारों सहित विभिन्न धार्मिक स्थलों के खुलने को लेकर संशय बरकरार हैै। हालांकि मंदिर मस्जिद गुरूद्वारों व अन्य धर्म स्थलों को खोलने पर चर्चा करने के लिए शनिवार को राज्य सरकार की ओर से वीडियों कांफ्रेंस का भी आयोजन किया गया। जिसमें प्रमुख धर्माचार्यों, धर्मगुरूओं, सेवादारों, महंतों आदि ने भी भाग लिया था। बताया गया है वीडियों काफ्रेंस के दौरान अधिकांश लोगों ने अभी मंदिर मस्जिद गुरूद्वारों व अन्य धर्मस्थलों को नही खोले जाने की राय व्यक्त की थी। जिस पर अब सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। संकट की इस घडी में अपने भगवान या अराध्य के दर्शन और पूजा पाठ से वंचित श्रद्धालु काफी बेचैन है। कस्बा निवासी एक बुजुर्ग ने बताया कि इस तरह और इतने लम्बे समय तक कभी भी मंदिर गुरूद्वारों या अन्य धर्मस्थलों को इस तरह बंद रहते कभी नही देखा गया। जैसा अब हो रहा है। जबकि सत्ता में बैठे यही लोग धर्म के नाम पर वोट मांगते और राजनीती करते है। लाॅकडाउन के चलते यहां के कैलादेवी, झीलकाबाडा में प्रतिवर्ष चैत्र मास में लगने वाला लक्खीयात्री मेला भी इस बार स्थगित कर दिया गया था। इस मेले में प्रतिवर्ष राजस्थान सहित यूपी, एमपी, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा व गुजरात आदि प्रांतों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आकर माता के दरबार में मनोतीयां मनाते है। देवस्थान विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार भरतपुर जिले में विभाग के अधीन करीब 34 प्रमुख मंदिर 21 मार्च से बंद है। जिनमें केवल पूजा पाठ होती है। बंद मंदिरों को सरकार के निर्देशानुसार श्रद्धालुओं के दर्शनों व सेवा पूजा के लिए खोला जा सकेगा।

125 वर्ष में पहली बार बंदः-बुजुर्गो की माने तो यहां के श्रीकैलादेवी झीलकाबाडा का यह प्राचीन देवी मंदिर सवा सौ वर्ष के इतिहास में इस तरह पहली बार बंद हुआ है। इस मंदिर में भरतपुर राज परिवार की कुलदेवी की पूजा अर्चना होती है। कई श्रद्धालुओं व महिलाओं ने बताया कि अगर केन्द्र सरकार ने कोरोना महामारी की सूचना के आरंभ में ही आवश्यक कदम उठाए होते तो देश में ऐसे विकट हालात पैदा नही होते।

 बयाना संवाददाता राजीव झालानी की रिपोर्ट

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow