कोरोना काल में लोग लगे रहे अपनी जान बचाने की जुगत में, तो नगर पालिका लगी रही रोजगार तलाशने में
कामां (भरतपुर, राजस्थान/हरिओम मीणा ) कामां नगर पालिका में कोरोना काल में मास्क व फेश शील्ड खरीदने में अनियमितताएं सामने आई है । कोरोना काल में जहां आमजन कोरोना से हो रही मौतों के भय के कारण अपनी जान बचाने की जुगत लगाता रहा तो वहीं कामां नगर पालिका कोरोना की आड में रोजगार तलाशने के अवसर तलाशती रही जिसका जीता जागता उदाहरण अब देखने को मिल रहा है
कामां नगर पालिका द्वारा अप्रैल व मई माह में भयकर कोरोना काल के दौरान करीब डेढ़ लाख रूपए की कीमत के बिना निविदा व टैण्डर के ही कुटेशन के आधार पर करीब सात हजार मास्क उन्नीस रूपए पचास पैसे प्रति नग के हिसाब से कस्बां की दो अलग अलग फर्माे से खरीद लिए। जबकि एक मास्क की कीमत आठ रूपए नब्बे पैसे थी। इस घोटाले को लेकर कस्बें में चर्चाओं को बाजार गर्म है। वहीं लोगों का आरोप है कि जहां एक ओर लोग कोरोना महामारी से परेशान व भयभीत थे। वहीं नगर पालिका कोरोना काल में घोटाले में व्यस्त नजर आई।
नगर पालिका द्वारा 28 मई को पांच लाख रूपए की लागत से मास्क खरीदने की निविदा जारी की। तो 2 जून को अलग अलग फर्माे ने अपनी अपनी रेट दर के टैण्डर डाले। जिसमें न्यूनतम दर आठ रूपए नब्बे पैसे श्रीजी मेडिकल की थी। जिसपर आज तक उसको वर्क ऑर्डर नही दिया गया। वहीं जानकार लोगों का कहना था कि अधिक दर पर बिना निविदा निकाले मास्क खरीदने की जब ऑडिट होती तो यह फर्जीवाड़ा पकड़ा जाता। इस लिए कोरोना समाप्त हो गया है का बहाना बनाया गया।
मास्क निविदा का वर्क ऑर्डर देने में कोरोना समाप्त हो गया का बहाना लगाने के बाद ३ जून को ही अपने ही चेहते मेडिकल स्टोर संचाकल संवेदक से निविदा डलवाकर 96000 रूपए के 160 रूपए की दर से 600 फैश शील्ड खरीदी गई। जबकि इनकी बाजार में रेट तीस रूपए से पैतीस रूपए थी।
नगर पालिका के द्वारा कोरोना काल में खरीदे गए मास्क के मामले में एक ओर गड़बड़ी सामने आई है। जिसको नगर पालिका प्रशासन में हडकंप मचा हुआ है। वहीं कस्बेंवासियों के द्वारा नगर पालिका की कार्यशैली पर आरोप लगाए जा रहे है।
नगर पालिका की ओर से माह अप्रैल व मई में बिना निविदा के जिस मेडिकल स्टोर से मास्क 19 रूपए 50 पैसे में खरीदा गया था। उसी फर्म ने नगर पालिका के द्वारा 28 मई को जारी की गई निविदा में अपनी दर 14 रूपए 50 पैसे डाली थी। इसमे नगर पालिका की इस कार्यशैली से कोरोना काल में मास्क खरीद में बड़ा घोटाला नजर आ रहा है। मजे की बात यह है कि जिस फर्म ने नगर पालिका 19 रूपए 50 पैसे में बिना निविदा के मास्क उपलब्ध कराए। उसी फर्म ने निविदा डालते हुए अपनी दर 14 रूपए 50 पैसे में प्रति मास्क देने के लिए तैयार हो गया।
लेकिन श्रीजी मेडिकल द्वारा 8 रूपए 90 पैसे की दर डालने के कारण अधिकारियों व पालिकाध्यक्ष की योजना पर पानी फिर गया। और इसी कारण से श्रीजी मेडिकल फर्म से मास्क की सप्लाई कोरोना खत्म होने का बहाना लगाते हुए मास्कों की सप्लाई नही ली गई।
लेकिन इसके दूसरे दिन ही अपनी चेहती उसी फर्म से बाजार 30 रूपए में मिलने वाली फेस शील्ड़ को एक सौ साठ रूपए प्रति नग में 600 फेस शील्ड़ खरीद ली। आश्चर्य की बात है कि दो जून की निविदा में कोरोना समाप्त होने का कारण बताते हुए सप्लाई नही ली गई। वहीं तीन जून को कोरोना आ जाने के कारण फेस शील्ड खरीद ली गई।
वहीं नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी श्याम बिहारी गोयल ने बताया कि 19 रूपए 50 पैसे की दर से लवली मेडिकल से मास्क खरीदे गए थे। निविदा इस फर्म ने क्या दरें डाली मुझे याद नही है।
सामाजिक कार्यकर्ता विजय मिश्रा ने बताया कि कोरोना काल में नगर पालिका के द्वारा किए घोटालो के साक्ष्य जुटाए जा रहे है। साक्ष्यों को जुटाने के बाद जयपुर लोकायुक्त में शिकायत की जाएगी।
इस बारे में नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी श्याम बिहारी गोयल का कहना है कि नगर पालिका के द्वारा मास्क व फैश शील्ड़ नियमानुसार खरीदे गए थे। जब इस बारे में उनसे विस्तृत जानकारी लेने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया|