कोरोना काल मे एक तरफ ऑक्सीजन की किल्लत और दूसरी तरफ अंधाधुंध हो रही हरे पेड़ों की कटाई
अलवर जिले के राजगढ़ उपखण्ड के माचाड़ी कस्बे तथा आसपास गुगडौद, ईशवाना, भैरुघाटी बल्लूपुरा, जामडोली, अलेई, आदि ग्रामीण क्षेत्रों में इस कोरोना महामारी के चलते हुए। महिलाएं लोक डाउन की परवाह न करते हुए अंधाधुंध वनों की कटाई में लगी हुई हैं। लेकिन वन विभाग के कर्मचारी लोक डाउन की वजह से कोई ध्यान नहीं दे पा रहे है। इस मौके का फायदा ग्रामीण महिलाएं बखूबी उठा रही है। एक तरफ तो सरकार कहती है कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोगों की जाने जा रही है।
वहीं दूसरी ओर पेड़ों से जो शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है। वह पेड़ों के कटने की वजह से आम नागरिकों को नहीं मिल पा रही हैं। और पर्यावरण प्रदूषित होने की वजह से आम नागरिकों को इसका खामियाजा उठाना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि पुलिस विभाग बजरी व पत्थरों से भरी ट्रैक्टर ट्रॉली को पकड़कर मुकदमा बना देते हैं। अगर पेड़ काटने वाली महिलाओं के ऊपर एक दो मुकदमा लग जाए तो वनों की रक्षा आराम से हो सकती है। क्योंकि महिलाएं सूखी लकड़ी इकट्ठी करने के बहाने पेड़ों की टहनियों को काट-काट कर ले जाती है अगले दिनों के लिए काटकर जंगल में पटक आती है ।और सूखने पर गटर बांधकर ले जाती है ।इस तरह से सुखी लकड़ियों के बहाने वनों का नास हो रहा है। जिसका ना तो प्रशासन ध्यान देता है। और ना ही वन विभाग ध्यान देता है। महिलाओं को लकड़ियां काटने के लिए बंद किया जाता है। तो कुछ महिलाएं गलत इल्जाम लगाने तक की धमकी दे डालती है। वन क्षेत्र लंबा होने तथा कर्मचारियों की कमी के कारण वनों के कटने का एक प्रमुख कारण यह भी है। इसलिए वन संपदा को बचाने के लिए वन विभाग में भर्ती होना भी जरूरी है
- रिपोर्ट:- भागीरथ शर्मा