ई-मित्र संचालकों की सरकारी दफ्तरों के अंदर तक दखल, सांठगांठ से पनप रहा फर्जी पेंशन का खेल
सरकारी कार्यालयों में प्राइवेट कार्मिकों के हाथ जिम्मेदार के काम
पहाड़ी (भरतपुर, राजस्थान/ भगवानदास) कामां व पहाड़ी उपखण्ड़ में विभिन्न सरकारी पेंशन योजनाओं का लाभ अपात्र व्यक्ति उठा रहे हैं। यह खेल संबंधित विभागों के कार्मिकों का ई-मित्र संचालकों के साथ सांठगांठ से चल रहा है। इसमें सरकारी दफ्तरों में लगे प्राइवेट कर्मचारियों की भूमिका भी शुरु से ही संदेहास्पद रही है। लेकिन फिर भी इनकी आड़ में इस घोटाले को अंजाम तक पहुंचाया जा रहा है।
क्षेत्र में हालात ऐसे हैं कि पात्र व्यक्ति पेंशन के लिए भटक रहे, जबकि अपात्र व्यक्ति पेंशन उठा रहे हैं। सांठगांठ के चलते पात्र व्यक्तियों की पेंशन बंद कर उन्हें पेंशन फिर से चालू कराने के नाम पर परेशान किया जाता है और फिर सेवा शुल्क लेकर पेेंशन शुरु की जाती है। फर्जी पेंशन के मामलों में इलाके के ई-मित्र संचालकों की मुख्य भूमिका है। ये फर्जी एसएसओ आईडी तैयार कर अपात्र लोगों की पेंशन के लिए आवेदन कराने से लेकर उसे जारी कराने तक जिम्मा लेेते हैं। कम उम्र के लोगों के आधार कार्ड में उम्र बढ़ाकर पेंशन जारी कराई जा रही है। कई ई-मित्र संचालकों ने तो अपने पूरे परिवार की ही पेंशन बनवा रखी है।
घोटाले में सब का हिस्सा, ठीकरा प्राइवेट कर्मचारियों के सिर
तहसील व पंचायत समिति कार्यालयों में ठेके पर प्राइवेट कर्मचारी रखे जाते हैं। जिन्हें अफसरों का इतना वरदहस्त प्राप्त होता है कि उन्हें पेंशन जारी करने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर का डोंगल तक सौंप दिया जाता है। इन प्राइवेट कार्मिकों से ई-मित्र संचालकों की सीधी पैठ होती है। जो फर्जी लोगों की पेंशन जारी कराने की एवज में मोटी रकम देते हैं। इलाके में इन दिनों फर्जी पेंशन प्रकरण चर्चा का विषय बने हुए हैं। क्षेत्र के गांव खंडेवला में एक व्यक्ति ने ई-मित्र संचालक से फर्जी एसएसओ आईडी बनवाकर अपने परिवार व छोटी बच्ची के नाम पेंशन जारी करा ली। यहां तक की जुलाई व अगस्त माह की पेंशन खाते में भी आ गई। एक ई-मित्र संचालक ने 16 जून को अपनी व अपने परिवार के सदस्यों की उम्र के दस्तावेजों में फर्जीवाडा कर दिया। फर्जी पेंशन प्रकरणों की अब पोल खुलने लगी है तो सरकारी दफ्तरों में हड़कंप की स्थिति है। अब अफसर हरेक ग्राम पंचायत में तीन अधिकारियों की कमेटी बनाकर पेंशन प्रकरणों की जांच करा रहे हैं।
यू होता है फर्जीवाड़ा
ई-मित्र संचालक पेंशन आवेदन अपलोड करता है जो तहसीलदार के पास पहुंचता है। वहां से पास होने के बाद पंचायत समिति में पहुंचता है। यहां विकास अधिकारी द्वारा स्वीकृति मिलने के बाद पेंशन चालू हो जाती है। जब भी फर्जी पेेंशन प्रकरण पकड़े जाते हैं तो अधिकारी अपने बचाव में डोंगल चोरी होने का तर्क लाकर खड़ा कर देते हैं। लेकिन यह सब खेल मिलीभगत से चलता है। इतना सब होने के बाद सरकारी दफ्तरों से प्राइवेट कार्मिकों को हटाया नहीं जा रहा। बल्कि उन्हें अब भी विश्वसनीय चीजें सौंपी जा रही है। ई-मित्र संचालकों के भी लाइसेंस निरस्त नहंी हो रहे और न ही उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज कराया जा रहा।
देशवीर सिंह (विकास अधिकारी पंचायत समिति पहाड़ी) का कहना है कि:- ई-मित्र संचालक व तहसील के एक प्राइवेट कार्मिक ने फर्जीवाड़ा कर पेंशन जारी की है। मामले में पंचायत समिति के एक लिपिक की भूमिका भी सामने आ रही है। उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। प्रत्येक ग्राम पंचायत में तीन सदस्यी कमेटी गठित कर दी गई है। जो तीनदिन मे जांच रिपोर्ट पेश करेगी। ई-मित्र संचालक से पूछताछ में करीब 15-20 पेंशन फर्जी सामने आई है। जिनको निरस्त कर दिया गया है। इसमें लिप्त लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया जाएगा।