झोलाछाप आँखों के स्पेशलिस्ट बन कर रहे हैं आँखों का इलाज
खैरथल (अलवर,राजस्थान/ हीरालाल भूरानी) खैरथल, किशनगडबास, मुंडावर, तिजारा, बहरोड सहित संपूर्ण अलवर जिले में चश्में की दुकानों पर बड़े-बड़े ग्लो साइन बोर्डों पर आई केयर सेंटर व कम्प्यूटराइज्ड मशीनों द्वारा आँखों की जाँच लिखकर, अनट्रेंड स्टॉफ बिना किसी डिग्री,डिप्लोमा के झोलाछापों द्वारा आंखों की जांचकर आँखों की दवाइयाँ देकर लोगों की नेत्रज्योति के साथ खिलवाड़ कर रहे है। चश्मा दुकानदारों के पास नेत्र जांच का कोई अनुभव नहीं है पर इसके बाद भी ये आंखें चेक कर न केवल लोगों को चश्मे के नंबर दे रहे हैं बल्कि चश्मा भी बना रहे हैं व आँखों की गंभीर बीमारियों का इलाज भी कर रहे हैं। दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इन झोलाछापों पर कार्यवाही करने के बजाये आंख बंद कर बैठे है। इन झोलाछापों ने आई केयर सेंटर के लेटर हेड छपा रखे है व लेटर हेड पर दवाइयाँ भी प्रिस्क्राईब कर अपने आप ही बिना मेडिकल के लाइसेंस के दवाइयाँ भी दे रहे हैं।
पूरे राजस्थान में हजारों से ज्यादा पावर का चश्मा बनाने की दुकाने है,लेकिन इन दुकानो में किसी प्रकार के रजिस्टर्ड और डिप्लोमा धारी टेक्निशियन नही है। कुछ दुकानों पर आंखें चेक करने और चश्मे का नंबर देने का काम कम्प्यूटराइज्ड मशीन के जरिए अनट्रेंड स्टाफ द्वारा किया जा रहा है। ऐसे में अगर किसी की आंखों के साथ कोई खिलवाड़ होता हो तो हो, इसकी परवाह किसी को नहीं है। खुद नेत्र जाँच विशेषज्ञों की राय में बिना योग्य चिकित्सक के परीक्षण बिना चश्मे का नंबर देना खतरे से खाली नहीं है। सामान्य तौर पर चश्मे की दुकान चलाने वालों को केवल चश्मा बनाने का अधिकार है। वे नेत्र जाँच विशेषज्ञ द्वारा बताए गए नंबर का चश्मा बनाकर दे सकते हैं।
चश्में की दुकान में आंख जांच का कोई भी उपकरण नहीं रहना चाहिए :- वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञों ने बताया कि इन चश्मे की दुकानों पर किसी भी तरह विभागीय कार्यवाही हुई तो ये झोलाछाप जेल की हवा खाएंगे। क्योंकि इनको विजन भी जांच करने का अधिकार नहीं है जबकि चश्मे की दुकानों में आंख जांच के विजन चार्ट सहित उपकरण भी रखे है।
राजस्थान सरकार द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट है कि राजस्थान मेडिकल कौंसिल,राजस्थान पेरा मेडिकल कोंन्सिल जयपुर में जिनका पंजीयन है केवल वहीं आँखों की जाँच व इलाज जॉब चार्ट के अनुसार कर सकते है। अब तक चश्में का नंबर देने वाले दुकानदारों के यहां किसी प्रकार की जांच पड़ताल नही की गई जिसका फायदा दुकानदार खुलेआम उठा रहे है।
गलत नंबर से हो सकती है परेशानी:- चश्मे के गलत नंबर से मरीज को कई तरह की परेशानी हो सकती है। इससे सिर दर्द और आंखों में भेंगापन की समस्या हो सकती है। लेकिन शहर में चश्मा की दुकान का संचालन करने वाले लोगो के आंखो की जांच अनट्रेंड स्टॉफ से कराकर लोगो की आंखों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जबकि बिना डॉक्टर की सलाह लिए चश्मे का नंबर नहीं निकलवाना चाहिए और न ही ऐसे चश्मे का उपयोग करना चाहिए। ऑटोरेफ्रेक्टोमीटर जांच मशीन लगाने वालों को स्वास्थ्य विभाग में पंजीकृत होना अनिवार्य हैं। आंखों में लगने वाले पावर के चश्मे की जांच प्रशिक्षित स्टॉफ द्वारा ही किया जाना चाहिए। गलत नबंर का चश्मा लगने से भेंगापन जैसी समस्या हो सकती हैं।
गलत इलाज करने से भी निकालनी पड़ सकती है आंख:- जब की बिना लाइसेंस के दवाई रखना गैर कानूनी है और बिना काउंसिल में पंजीयन के आँखों का इलाज नहीं कर सकते हैं। आँखों में गलत दवाई डालने से आँखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है और कुछ परिस्थितियों में आंख को ही निकालना पड जाता है।