गांवो में अज्ञात बीमारी फैलने से पशुओ की हो रही अकाल मौत
पशुपालक परेशान, पशुपालन विभाग में मची खलबली
बयाना (भरतपुर, राजस्थान/ राजीव झालानी) बयाना उपखण्ड के विभिन्न गांवो में पालतू पशुओ में अज्ञात बीमारी फैलने से कई पशु अकाल मौत का शिकार हो चुके है। और पशुओ की मौत का सिलसिला जारी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उपखण्ड के गांव समोगर, नगला छीपी, धुरैरी-मावली,सरईया नगला सहित अन्य गांवो मे भी पशुओ में कई दिनो से अज्ञात बीमारी फैल रही है। पशुपालको का कहना है कि उन्होने अपने सम्बन्धित पशुपालन केन्द्रो पर तैनात पशुपालन विभाग के कर्मचारियो को इसकी कई बार सूचना दी गई है। किन्तु उनकी ओर से कोई सुनवाई नही की जा सकी है। जिससे यह बीमारी काफी अधिक फैल चुकी है जिसके कारण अब तक दो दर्जन से अधिक पालतू पशुओ की मौत हो चुकी है और अब भी अज्ञात बीमारी के चलते कई पशु बीमार है। पशुपालक ओमप्रकाश, सीताराम, कम्पोटर आदि ने बताया कि अज्ञात बीमारी के चलते पशुओ को तेज बुखार आने कमकपी छुटने व चारापानी लेना बन्द कर देने की शिकायत होती है और कुछ समय में ही बीमार पशु तडफ तडफ कर दम तोड देता है। मंगलवार को सूचना मिलने पर बयाना के पशुपालन अधिकारी डा.गिरीश गोयल भी टीम सहित गांव समोगर पहुचे और बीमार पशुओ का उपचार किया। ग्रामीणो के शोर शराबे के बाद सोमवार को भी पशुपालन विभाग की मोबाइल टीम पहुुची थी। जिसने बीमार पशुओ की जांच कर पशु पालको को उनके रखाव सम्बन्धी हिदायत दी। हालांकि इस बीमारी को लेकर पशुपालन विभाग के चिकित्स व पशुपालन कर्मी न तो कोई जानकारी दे पा रहे है और ना ही कोई सन्तोषजनक जबाब दे पा रहे है और उनका कहना है कि दो चार पशुओ की अज्ञात बीमारी से मौत हुई है। जबकि पशुपालको का कहना है कि पशुपालन विभाग की ओर से गत बर्ष भी कोरोना का बहाना कर बैक्सीनेशन नही किया गया था और इस बार भी बैक्सीनेशन अभी तक शुरू नही किया जा सका है। पशुपालको का कहना है कि पशुओ में गल घोटूं जैसी बीमारी के लक्षण है। जबकि जिम्मेदार विभाग इन पशुओ में गलघोटूं बीमारी को लेकर स्पष्ट रूप इंकार कर रहे है। ग्रामीणो का आरोप है कि पशुपालन विभाग के गांवो में तैनात पशुपालन कर्मी इस बीमारी को लेकर सर्तक नही है वह केवल खानापूर्ति करते है। जिससे पशुओ की मौत का सिलसिला गांवो में जारी है। बीते 24 घन्टो मे भी आधा दर्जन पालतू पशुओ की अज्ञात बीमारी के चलते मौत हो चुकी है। जिनमें समोगर निवासी ओमप्रकाश गुर्जर की दो भैंस, गंगाराम की एक भैंस, चन्द्रर व उसके भाई की एक एक भैंस,चोबसिहं का एक उटं, बच्चूसिहं की एक गाय व दो अन्य पशुपालको की दो भैंस दम तोड चुकी है। इसके अलावा इनके कई पशु बीमार चल रहे है। जानकार ग्रामीणो का कहना है कि अगर पशुपालन विभाग बेमौत मरने वाले पशुओ की आवश्यक जांच व पोस्टमार्टम करवाऐ तो श्याद बीमारी के कारणो का सही पता लग सकता है।
डॉ. गिरीश गोयल (पशुपालन अधिकारी, पशुपालन विभाग,बयाना) का कहना है कि - मुझे सूचना मिली जिसके बाद मौके पर पहुंचकर बीमार पशुओ की जांच की अभी बीमारी का पता नही चल सका है, उच्चाधिकारियो को अवगत करायेगे। आज मरी भैंस का पोस्टमार्टम कराकर बीमारी की जांच करेगें