गुणात्मक शिक्षा के लिए शिक्षकों को अन्य कार्यों से मुक्त रखना जरूरी: शर्मा
शिक्षक संघ (सियाराम) की शैक्षिक संगोष्ठी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर चर्चा के साथ हुई सम्पन्न
भीलवाड़ा (राजस्थान/ बृजेश शर्मा) राजस्थान शिक्षक संघ (सियाराम) द्वारा शैक्षिक संगोष्ठी का आयोजन राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सुभाषनगर में प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र शर्मा के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। जिलाध्यक्ष राजेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि संगोष्ठी में 'शिक्षा में गुणात्मक सुधार' विषय पर चर्चा हुई। चर्चा में यह उभरकर आया कि वर्तमान समय में शिक्षकों को शिक्षण कार्य के अतिरिक्त अन्य गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जाता है,साथ ही शिक्षकों के विद्यालय में लिपिकीय कार्य में व्यस्त रहने से कक्षा कक्ष शिक्षण पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते हैं।
वर्तमान समय का पाठ्यक्रम एवं पाठ्यपुस्तकें भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षण में बाधा है। विभाग द्वारा प्रतिदिन कई प्रकार की अनावश्यक सूचनाएं ऑनलाइन एवं ऑफलाइन मांगी जाती है जिससे शिक्षक उन सूचनाओं को बनाने में ही व्यस्त रहते हैं,जिससे वास्तविक शिक्षण कार्य प्रभावित होता है।संगोष्ठी में पुरानी पेंशन योजना लागू करने,तृतीय श्रेणी शिक्षकों के अविलंब स्थानांतरण करने, शिक्षकों को बीएलओ सहित अन्य सभी प्रकार के गैर शैक्षणिक कार्यों से पूर्णतया मुक्त करने,सभी स्कूलों में सहायक कर्मचारी लगाने, कंप्यूटर अनुदेशक की भर्ती शीघ्र करने, 500 से अधिक नामांकन होने पर अतिरिक्त शारीरिक शिक्षक का पद सृजित करने,प्रबोधकों की पदोन्नति प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने सहित शिक्षकों की विभिन्न मांगों एवं समस्याओं पर चर्चा कर प्रस्ताव पारित किया गया,जिसे सरकार को भेजा जाएगा। जिले से वीरेन्द्र शर्मा के प्रदेश अध्यक्ष बनने पर एवं अनिल कुमार बंग के सेवानिवृत्त होने पर उनका अभिनंदन किया गया। संगोष्ठी के पश्चात संगठन के पदाधिकारियों की बैठक हुई,जिसमें संगठनात्मक मुद्दे व जनवरी माह में भीलवाड़ा में आयोजित किए जाने वाले प्रांतीय अधिवेशन की तैयारियों को लेकर चर्चा की गई।
चर्चा में सुमनलता उपाध्याय, अजय कुमार जैन,मुकेश कुमार शर्मा, लीलाधर तिवारी, सुमित कुमार मुरारी, सत्यनारायण ओझा, रमेश चंद्र जोशी, शिवराज झंवर, रमाकांत तिवारी,राजीव पिल्लई, अनिल आसोपा,विनोद शर्मा, सत्यनारायण खटीक, महेश मंडोवरा, वीरेंद्र चतुर्वेदी, नरेंद्र कुमार टेलर, हेमेंद्र सिंह, महेंद्र कुमार शर्मा, परिधि सैनी, ललिता कटारे जगदीश जीनगर, राधेश्याम सुथार, कन्हैया लाल शर्मा आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।