भारत सरकार राहत पैकेज दे, शत प्रतिशत वैक्सीनेशन लगवाना सुनिश्चित करें- पांडे
भुसावर (भरतपुर,राजस्थान/ रामचंद्र सैनी) वर्तमान परिपेक्ष्य में सतीश पाण्डेय पूर्व सरपंच ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि चीन से उपजी वैश्विक महामारी कोविड-19 के पहले लॉकडाउन से देशवासी नहीं उबर पाए हैं और ऐसे में द्वितीय लॉकडाउन से खादी आयोग द्वारा वित्त पोषित इकाइयों के साथ-साथ होटल व्यवसाय, इंडस्ट्रीज, ट्रांसपोर्ट व्यवसाय, छोटे बड़े कृषक, रोजमर्रा दिनदहाड़ी श्रमिक, पेट पालने वाले मजदूर, मनरेगा श्रमिक व व्यापारी व्यवसायियों की आर्थिक रूप से कमर टूट चुकी है, 56 इंच की छाती वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी किसानों को सम्मान निधि की अल्प सहायता स्वीकृत कर लंबा चौड़ा व्याख्यान व विज्ञापन जारी करते हैं। वहीं दूसरी तरफ देश का अन्नदाता किसान लंबे अरसे से केंद्र द्वारा पारित किसान बिल के खिलाफ आंदोलनरत हैं। मोदी, अमित, नड्डा व तोमर का किसानों से मिलना भी दुश्वार है अधिकांश मीडिया भी किसानों से मुंह मोड़े हुए हैं देश के लिए आज प्रधानमंत्री से आशा है कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर समूचे देशवासियों को शत प्रतिशत वैक्सीनेशन के लिए अचूक प्रयास करना चाहिए उन्हें समभाव से पश्चिमी बंगाल, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश को देखना चाहिए । जैसा कि देखने में आया है भारतीय रिजर्व बैंक ने कोरोना संकटकाल में देश की अर्थव्यवस्था की सार संभाल के लिए आए दिन बड़े-बड़े उद्योगपतियों को एक के बाद एक नई-नई घोषणाएं की जा रही हैं, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से किसानों को खातों में मात्र ₹2000 डालकर लंबी चौड़ी वाहवाही लूट रहे हैं किसान बिल की वापसी पर देश का अन्नदाता किसान गर्मी,सर्दी, बरसात, आंधी व तूफान जैसी आपदाओं को भी झेल कर आंदोलन के लिए मजबूर व विवश है। प्रचंड बहुमत से बनी केंद्र सरकार अन्नदाता किसान के मुद्दे पर अहंकार पूर्ण रवैया अपनाकर चुप्पी साधे हुए हैं कोविड-19 की महामारी से देश में हाहाकार मच रहा है प्रधानमंत्री देश की जनता को कोरोना को बहुरूपिया व अदृश्य दुश्मन बता रहे हैं पूर्व में प्रधानमंत्री ताली थाली दीपक मोमबत्ती जलवाकर कोरोना भगाने का आह्वान देशवासियों से कर चुके हैं। केंद्र सरकार की भेदभाव पूर्ण ढुलमुल नीति से वैक्सीनेशन की गति "9 दिन चले अढ़ाई कोस" की भांति कछुआ दौड़ रैंग रही है, आए दिन देशवासी काल के गाल में फंसकर मर रहे हैं प्रधानमंत्री कभी टीकों का दूसरे देशों को निर्यात कर रहे हैं वहीं गधैया मरी पड़ी है और कुम्हार भाड़े को दौड़ रहा है की भांति देश में वैक्सीन के लिए हाहाकार मच रहा है की कहावत चरितार्थ हो रही है प्रधानमंत्री को चाहिए कि इस वैश्विक महामारी का स्थाई समाधान शत प्रतिशत वैक्सीनेशन से ही है। केंद्र व राज्य सरकार के झगड़े में ना पडकर प्रधानमंत्री को रूस, अमेरिका, ब्रिटेन व अन्य चहेते मुल्कों से वैक्सीन दवा वेंटीलेटर ओक्सीजन उपकरण आदि उपलब्ध हो समूचे राष्ट्र को समभाव से केंद्र सरकार की ओर से उपलब्ध कराने में निष्पक्ष भूमिका निभानी चाहिए।वही देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए आरबीआई को चाहिए कि छोटे बड़े कर्जदारों को समय पर कर्ज चुकाने पर अनुदान या सहायता दिलवाकर गांधी जी के सपनों को साकार किए जाने की महती आवश्यकता है।