आमरण अनशन पर बैठे एक भी साधु को कुछ हुआ तो होगा उग्र आंदोलन - शिवराम दास
आमरण अनशन पर बैठे एक दर्जन साधुओ की सरकार और प्रशासन ने तीसरे दिन भी नही ली सुध
ड़ीग (भरतपुर,राजस्थान/ पदम जैन) आदि बद्री व कनकाचल को खनन मुक्त कराने के लिए ड़ीग के गांव पसोपा में जारी धरने के 204 वे दिन शनिवार को धरना स्थल पर गुरुवार से आमरण अनशन पर बैठे एक दर्जन साधुओं को देखने के लिए आसपास के ग्रामीणों का ताता लगा रहा है । शनिवार को आसपास के सैकड़ों गांवों के ग्रामीण धरना स्थल पर पसोपा पहुंचे व अनशन पर बैठे साधुओं के गिरते स्वास्थ को देखकर अत्यंत आहत हुए व सरकार के रवैया पर रोष जताया । इस अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए महन्त शिवराम दास ने कहा कि कुछ साधु वेश धारी पाखंडी लोग इस पवित्र आंदोलन को बदनाम करने के लिए अनर्गल बयान दे रहे हैं । जबकि कि ब्रज के पर्वतों को बचाने की इस मुहिम से भारतवर्ष ही नहीं विश्व भर के संत लोग जुड़े हुए हैं। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वे साधु कहलाने योग्य नहीं है । वे सिर्फ खनन माफियाओं के प्रभाव में आकर अपनी ब्रजभूमि का सौदा करने के लिए उतारू हैं। उन्होंने कहा कि हम शीघ्र ही एक बड़ा संत सम्मेलन बुलाकर इन सभी साधु वेशधारी पाखंडी बाबाओं को जो ब्रज के परम आराध्य पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को तोड़ने के पक्ष में हैं का बहिष्कार करवा कर और समाज से बाहर करवाएंगे। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा की आमरण अनशन पर बैठे साधुओं को कुछ भी हुआ तो उग्र आंदोलन होगा।
आमरण अनशन पर बैठे संत हनुमान दास ने राजस्थान सरकार को संदेश देते हुए कहा की ब्रज के यह पर्वत और पर्यावरण साक्षात कृष्ण हैं। इनकी उपासना ही हमारे जीवन का धर्म है । अगर ब्रज के यह पर्वत हमारे समक्ष तोड़े जा रहे हैं तो हमें जीने का कोई अधिकार नहीं है। ग्रामीणों ने आमरण अनशन पर बैठे 12 साधुओं के लिए कीर्तन व कथा का कार्यक्रम शुरू कर दिया है।
शनिवार को कथा वाचन करते हुए संत बरसाना शरण एवं साध्वी मधुबनी ने ब्रज एवं ब्रज के पर्वतों को ही साक्षात कृष्ण का स्वरूप बताया और कहा कि इनकी सेवा ही भगवान राधा कृष्ण की सच्ची सेवा है। इसी के साथ उपस्थित ग्रामीण महिलाओं ने ब्रज के पारंपरिक गीतों का गान किया । ब्रज संरक्षण समिति के संरक्षक राधा कांत शास्त्री ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से साधु-संतों व ग्रामीणों की न्यायोचित मांग पर तत्काल कार्रवाई करते हुए आदि बद्री और कंकाचल पर्वतो को वन संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की मांग की है । इस अवसर पर सैकड़ों ग्राम वासियों और साधु-संतों के अलावा से मान मंदिर के व्रजदास, ब्रज किशोर दास, गौरांग बाबा, कृष्ण चैतन्य बाबा, हरि बोल बाबा, सुल्तान सिंह, हरि चैतन्य बाबा, गोपाल बाबा आदि प्रमुख लोग उपस्थित थे।