मानव का व्यवहार मधुर हो तो अपने आप दोस्त बन जाते हैं पशु पक्षी
सकट (अलवर,राजस्थान) सकट क्षेत्र की ग्राम पंचायत नाथलवाडा में अधिकतर आदीवासी मीना समुदाय के लोग रहते हैं यहां के लोगों का प्रकृति व जीव जन्तु ओ के प्रति भाव प्रेम अधिक है वे से आदिवासी मीना समुदाय के लोग प्राचीन काल से ही वन जीव प्रेमी रहे हैं ऐसा ही नजारा आज हमें नाथलवाडा गांव में रामकुमार मीना की पुत्रवधू अनोखी देवी मीना व मलूकी देवी मीना दोनों संगी बहन है इनका जीव जंतुओं के साथ अधिक भाव प्रेम रहा है, अनोखी व मलूकी मीना ने बताया की हम रोज सैकड़ों पक्षियों को दानापानी डालते हैं ऐसे में पक्षियों को जब हम दाना पानी डालते हैं तो वो हमारे ऊपर हाथ पर,सिर पर ,आस पास घर के आंगन में नाच कूद करते रहते हैं राष्ट्रीय पक्षी मोर भी हम से नहीं डरता है
मित्र जेसा व्यवहार है , हमारे पास में नाचता भी है मधुर वाणी भी सुनाई देती है,राष्ट्रीय पक्षी मोर प्रेम सौंदर्यताका संदेश दे रहा है, राष्ट्रीय पक्षी मोर का वैज्ञानिक नाम(पावो कि्स्टेटस) है आदिवासियों एवं पशु-पक्षियों वनों का घनिष्ठ सम्बंध है। हमारी संस्कृति मूलत: अरण्य संस्कृति रही है। वन एवं वन्य जीवों को यहां के स्थानीय आदिवासी मीना ओ द्वारा अपने परिवार का अंग माना गया। आदिवासी मीना समाज द्वारा वनों में स्वंत्रतापूर्वक रहकर वहीं से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुये सदैव वनों को संरक्षित करने का कार्य किया है। विगत कुछ दशकों में आदिवासियों एवं वनों के बीच दूरी बढ़ी है। आदिवासी जो वनों एवं वन्यजीवों के स्वाभावितक मित्र रहै है।
- संवाददाता राजेंद्र मीणा