आंदोलनकारियों ने सरकार को दी चेतावनी पर्वतों की रक्षा नहीं हुई तो आमरण अनशन कर देंगे प्राणों की आहुति
ड़ीग (भरतपुर,राजस्थान/पदम जैन) ड़ीग के गांव पसोपा में जारी धरने के 65 वे दिन रविवार को गांव पालका, अलीपुर, पसोपा, कोडली, रूपवास व ककराला के ग्रामवासियों व जनप्रतिनिधियों ने पुनः आंदोलन की समीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बैठक कर सरकार को सीधी चेतावनी देते हुए कहा कि भारत के इतिहास में पहाड़ों की रक्षा के लिए किए जाने दिए जाने वाले आंदोलनों में यह धरना उल्लेखनीय है ।साथ ही यह सरकार की घोर उदासीनता व संवेदनहीनता का भी प्रतीक है । प्रशासन भ्रष्टाचार में लिप्त होकर खनन माफियाओं के साथ मिलकर ब्रज के पर्वतों एवं पर्यावरण को नष्ट करने में लगा हुआ है ।साथ ही सरकार भी इतनी संवेदनहीन हो गई है कि 65 दिनों से गरीब जनता व साधु-संत आंदोलनरत हैं फिर भी सरकार ने प्रशासन को किसी प्रकार का कोई भी कार्रवाई का संकेत नहीं दिया है। बैठक में उपस्थित ककराला के सरपंच जलाल खान ने कहा कि संपूर्ण मुस्लिम समाज आज भारतीय संस्कृति के प्रतीक आदिबद्री व कनकाचल की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने तक के लिए तैयार है । संरक्षण समिति के संरक्षक राधाकांत शास्त्री ने कहा कि आंदोलन के स्वरूप को अभी तक हमने बहुत नियंत्रित कर रखा है लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि सारे सिद्धांतों को एक तरफ रख कर सरकार की संवेदनहीनता के खिलाफ बहुत बड़ा कदम उठाना पड़ेगा । उन्होंने कहा के की उन्हें अभी भी राज्य के मुख्यमंत्री पर भरोसा है कि वे यहां की गरीब जनता और साधु-संतों की इस अत्यंत महत्वपूर्ण मांग को स्वीकार कर पिछले 20 वर्षों से चले आ रहे संघर्ष को विराम दे सकते हैं लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो भारत के इतिहास में पर्वतों की रक्षा के लिए किए गए आंदोलनों में यह आंदोलन सबसे ज्यादा उल्लेखनीय साबित होगा । उन्होंने स्पष्ट किया की 25 मार्च जयपुर में जन चेतना मार्च ,10 अप्रैल के बाद महापड़ाव आदि, यह तो शुरुआत है अगर पर्वतों की रक्षा नहीं हुई तो हमारे साधु संत आमरण अनशन कर अपने प्राणों तक को निछावर करने के लिए तत्पर है ।