बयाना में सियार,भेडीये व लंगूर बढे तो दुर्लभ जीव घटे
बयाना भरतपुर
बयाना 10 जून। बयाना कस्बा व क्षेत्र के जंगलों में वन विभाग की ओर से करवाई गई ग्रीष्मकालीन वार्षिक वन्य जीव गणना के दौरान अनेक रोचक तथ्य सामने आए है। यह गणना प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास की पुर्णिमा की रात्रि को कराई जाती है। जिसके लिए वन्य जीव संभावित जंगलों मे प्राकृतिक वाटर पाइंटों को चिन्हित कर उनके आसपास वनकर्मीयों को तैनात कर 24 से 36 घंटे तक निगरानी कर वन्य जीवों की पहचान व गणना का कार्य किया जाता है। इस कार्य के लिए वनकर्मियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाता है। क्षेत्रीय वनअधिकारी लाखनसिंह ने बताया कि पूर्णिमा की इस रात्रि को अक्सर वन्य जीव उनके विचरण जंगल क्षेत्र के वाटर पाइंट पर पानी पीने आते है। हालांकि इस बार मौसम के अचानक बदले मिजाज के चलते बारिश हो जाने से इन वाटर पाइंटों पर इस रात्रि को वन्य जीवों का आना जाना काफी कम हो गया था। गणना के लिए बयाना फाॅरेस्ट रेंज में इस बार 14 वाटर पाइंट चिन्हित कर वन्य जीवों की गणना कराई गई थी। जिसके अनुसार गतवर्ष के मुकाबले इस बार लंगूर, सियार, भेडिए, आदि वन्य जीवों में वृद्धि पाई गई। जबकि कई दुर्लभ जीवों की संख्या में काफी कमी पाई गई। प्राप्त आंकडों के अनुसार इस बार यहां के जंगलों में इन वाटर पाइंटों पर 116 सियार व गीदड, 23 जरख, 9 जंगली बिल्ली, 3 लोमडी, दो बिज्जू, 139 नीलगाय, 36 जंगली सूगर, 4 सेही व 476 मोर, आदि जानवर व पक्षी आए थे। इनके अलावा गिद्ध, चील, बाज, बंदर, व लंगूर आदि वन्य जीव भी काफी संख्या में देखे गए है और वन क्षेत्र के खैर्रा लखनुपर क्षेत्र में कुछ दिनों पूर्व पैंथर का विचरण भी देखा गया है। जिसकी लगातार निगरानी के लिए वनकर्मीयों सहित जंगह जगह ट्रैकिंग कैमरे लगाए गए है। आसपासके गांवों के लोगों को भी बाहरी व संदिग्ध लोगों और शिकारीयों पर नजर रखने व वनविभाग को सूचित करने को कहा गया है। अगर इस इलाके में जंगलों व वन्य जीवों के संरक्षण के प्र्याप्त उपाय किए जाऐं तथा अवैध खनन और वनों की कटाई को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाही अमल में लाई जाए तो यहां के जंगलों में पहले की तरह फिर से तरह तरह के दुर्लभ वन्य जीवों व पशुपक्षीयों के नजारे देखने और वंश वृद्धि भी बढती देखी जा सकती है। गौरतलब रहे डेढ दशक पहले तक इस इलाके में टाइगर व पैंथर सहित दुर्लभ वन्य जीवों के नजारे व काफी संख्या में वृद्धि देखी जाती थी। किन्तु पिछले डेढ दशक में सक्रिय हुए खनन माफियाओं व वनमाफियाओं और सफेद पोशों व उच्चाधिकारीयों के गठजोड के चलते यहां अवैध खनन और वनों की अंधाधुंध कटाई की होड मचने से सब कुछ तबाही के कगार पर पहुंच गया है। अगर सरकार अब भी ध्यान दे तो काफी कुछ बचाया जा सकता है।
बयाना संवाददाता राजीव झालानी की रिपोर्ट