जैन संत आचार्य 108 श्री ज्ञानसागर महाराज की देह पंचतत्व हुई विलिन, अंतिम दर्शन के लिए उमडा जनसैलाब, नमन आंखाे से दी विदाई
राजस्थान/ जीतेंद्र जैन
आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज की देह पंचतत्व विलिन हुई। इस दाैरान आचार्य श्री की अंतिम यात्रा व दर्शन के लिए लाेगाे का जनसैलाब उमडा और आचार्य श्री काे सभी धर्माे के लाेगाे ने नम आंखाे अंतिम विदाई दी, वही श्रमण परंपरा के संवाहक, प्रशान्तमूर्ति आचार्य श्रीं 108 शांतिसागर जी 'छाणी' परम्परा के षष्ठ पट्टाचार्य सराकोद्धारक आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज की समाधि भगवान महावीर के निर्वाण दिवस 15-नंबर -2020 को हुई। डोल यात्रा आज प्रातः 09:30 बजे निकली और आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज की देह पंचतत्व विलिन और आचार्य श्री के अंतिम दर्शन के लिए उमडा जनसैलाब आचार्य श्री की देह तो पंचतत्व में विलीन हुई, किन्तु सम्पूर्ण भारतवर्ष के जैन व अजैन तथा श्रद्धालुओं के ह्रदयकमल में आचार्य श्री का ज्ञान दीपक सदैव प्रकाशित रहेगा।
यह भी अजब संयोग था कि आचार्यश्री की मुनि दीक्षा सोनागिर जी में आचार्य सुमतिसागर जी के करकमलों से महावीर जयंती पर हुई थी और समाधि भगवान महावीर के निर्वाण दिवस पर। आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज चतुर्थ कालीन चर्या का पालन करने वाले, पंथ व आम्नाय से ऊपर सभी संतों के साथ समन्वय के आदर्श थे। बच्चों, छात्रों, प्रोफेशनल्स को संगठित करने, समाज को विश्व पटल पर ऊपर उठाने में आचार्यश्री का अभूतपूर्व योगदान है।