ईर्ष्या की आग में जलते रहते हैं ईर्ष्यालु इंसान- मुनि अतुल
भीलवाड़ा (राजस्थान/ बृजेश शर्मा) महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासन श्री मुनि रविन्द्र कुमार एव मुनि श्री अतुल कुमार काशीपुरी स्थित रांका भवन में प्रवासित है,। रात्रिकालीन प्रवचनों की श्रृंखला के तहत मुनि श्री अतुल कुमार ने कहा - कभी-कभी ऐसा नहीं लगता कि सब कुछ होते हुए भी इंसान को कुछ और चाहिए, यह मिल जाए या वह मिल जाए, यदि आपको ऐसा असंतोष प्रकट होता है तो कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि संतुष्ट हो जाना मनुष्य का स्वभाव ही नहीं है । और इसी कारण मानव ने सभी जीवो में सबसे अधिक विकास किया है । इसलिए मनुष्य ने आर्थिक और शक्ति रूप से वृद्धि की है । संपन्नता बढ़ती गई, ज्ञान बढ़ता गया, अर्थात असंतोष विकास के लिए बहुत आवश्यक है । परंतु समस्या तब उत्पन्न होती है जब यह असंतोष ईर्ष्या में बदल जाता है । जब आप स्वयं की संपत्ति अर्जित करने की अपेक्षा यह प्रयास करने लगते हैं की प्रतिद्वंदी की संपत्ति अधिक ना रहे, तब यह असंतोष ईर्ष्या में बदल जाता है । और यही ईर्ष्या को जन्म देती है, अपराध को, षड्यंत्र को ईर्ष्या से मुक्ति का उपाय है सबका साथ सबका विकास ।
प्रवचन में अमित मेहता, अशोक बुरड़, माणक चोरडिया, प्रकाश कावड़िया, निर्मल सुतरिया, अमर चंद रांका, सागर बाफना, बाबू लाल बोहरा, राजेन्द्र पोरवाल, आदित्य बाफना, वैभव पोरवाल, लक्ष्मी लाल सिरोहिया, भूपेंद्र पोरवाल, अमित रांका, रतन रांका, मनोज लोढा, दीपक डांगी, लाला राम, सुधा पोरवाल, मधु ओस्तवाल, सोनाली पोरवाल, ममता लोढा, महक पोरवाल, दर्शिता मेहता, यशवंत सुतरिया, संजना मेहता, निर्मला चोरडिया, भंवर देवी कांठेड़, शोभना सिरोहिया आदि श्रावक श्राविका उपस्थित थे ।