पत्रकार संघ जार जिलाध्यक्ष अलवर देशबंधु जोशी ने छोड़ा प्रदेश जार संगठन, कहा- जब प्रदेश संगठन अवैधानिक हो केवल चाटन भाषण के भूखे हो उनके साथ काम करना नहीं
अलवर (राजस्थान) जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान अलवर इकाई के जिला अध्यक्ष देशबंधु जोशी द्वारा प्रदेश संगठन जार की मनमानी तुगलकी फरमान प्रदेश संगठन में फर्जीवाड़े के चलते जार की प्राथमिक सदस्यता व जिला अध्यक्ष पद से त्याग दिया है। जोशी ने कहा चापलूसी पसन्द मनमानी करने वाले फर्जी संगठनों के साथ काम करने व कोई प्रदेश पद प्रतिष्ठा की जरूरत मुझे नहीं ।
जोशी ने कहा अलवर जिला अध्यक्ष के लिए जो नियुक्ति जारी की है वह भास्कर के नाम से गुमराह करके अलवर जिला अध्यक्ष नव नियुक्ति पत्र जारी करवाना जबकि उनकी अलवर भास्कर के मुख्य संपादक राजेश रवि ने बताया कि भास्कर में रिसेप्सन में कार्य करने वाले जो पिछले कुछ वर्षों से कोई लेना-देना नहीं।
जोशी ने कहा जिनकी विचारधारा पत्रकारिता के लिए नहीं है केवल शासन प्रशासन को गुमराह करने के लिए तथा अपने से उम्र पत्रकारिता क्षेत्र मैं बड़े पत्रकार साथियों का सम्मान करना नहीं जानते है । जबकि जितनी उम्र नवनियुक्त की स्वयं की उससे कहीं अधिक वर्षों से जिन्हें पत्रकारिता करते हो गई उनके सम्मान को भी रिसेप्शन में काम करने वाले लोग उनकी बुराई करने से नहीं चूकते ऐसे व्यक्तियों के पास किसी संगठन की जिम्मेदारी पत्रकार साथियों के हित व एकता के लिए कारगर साबित नहीं हो सकती है। वो पद प्रतिष्ठा के नाम पर स्वयं महिमामंडित होकर व्यक्तिगत लाभ ग्रहण कर सकते हैं पत्रकार एकता व हित नही।
वर्तमान प्रदेश जार संगठन स्वयं अवैधानिक संगठन , प्रदेश में दो संगठन चल रहे हैं जार के समानांतर
यह भी उल्लेखनीय है कि प्रदेश जार संगठन से पिछले काफी वर्षों से जुड़े वरिष्ठ साथियों से मुझे यह भी जानकारी मिल रही है की वर्तमान में जार प्रदेश संगठन स्वयं अवैधानिक रूप से गठित है। हम भी देख रहे हैं समानांतर दो संगठन चल रहे हैं जिनका कोई तोड़ नहीं है। इस तरह के विवादित संगठनों में नीम के प्रदेश पदाधिकारी केवल 4 टन भाषण उद्घाटन के भूखे भूखे हो ऐसे संगठनों में मैं काम करने में अपनी भलाई एवं सम्मान जनक नहीं समझता। हम हमारे जिले के पत्रकार साथियों की सुख दुख में सदैव साथ रहे हैं आगे भी साथ रहेंगे। मैं मैं किसी संगठन या व्यक्ति विशेष पर आधारित नहीं स्वतंत्र पत्रकार और स्वतंत्र विचार हूं। स्वाभिमान बेचकर आशांति पसंद नहीं है