मोतियाबिन्द के बाद कालापानी (ग्लोकोमा) अंधता का दूसरा प्रमुख कारण है- डॉ. रिंकू मेहता
ग्लूकोमा से होने वाली अंधता से बचें। प्रत्येक वर्ष में दो बार आंखों के प्रेशर की जांच करवाएं।
विश्व ग्लूकोमा सप्ताह (World Glaucoma Week, March 7 to March 14, 2021)
खैरथल (अलवर,राजस्थान/हीरालाल भूरानी) कस्बे के आंखों के डाक्टर रिंकू मेहता ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ग्लूकोमा से लगभग 6 करोड़ व्यक्ति दृष्टि बाधित हैं, इनमें से लगभग 1.12 करोड़ रोगी भारतीय उपमहाद्वीप में हैं जिनमें से 50 प्रतिशत रोगीयों को ग्लूकोमा रेाग की जानकारी नहीं हो पाती है । विश्व ग्लूकोमा सप्ताह का मुख्य उद्देश्य आमजन को ग्लूकोमा (कालापानी/काला मोतिया/काँच बिन्द) के खतरों से आमजन को अवगत कराना है,जिससे शीघ्र निदान/जाँच एवं नियमित उपचार से ग्लूकोमा द्वारा होने वाली अन्धता को रोका जा सके। ग्लूकोमा अंधता का एक प्रमुख कारण है। ग्लूकोमा मोतियाबिंद के बाद पूरी दुनिया में अंधता के दूसरे सबसे आम कारण के रूप में पहचाना गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ग्लूकोमा से लगभग 6 करोड़ व्यक्ति दृष्टि बाधित हैं, इनमें से लगभग 1.12 करोड़ रोगी भारतीय उपमहाद्वीप में हैं जिनमें से 50 प्रतिशत रोगीयों को ग्लूकोमा रेाग की जानकारी नहीं हो पाती। ग्लूकोमा आँखों का एक ऐसा रोग है, जो धीरे-धीरे नजर चुरा ले जाता है, इसलिए इसे ‘‘साईलेंट थीफ आफ साइट’’ कहा जाता है। आमतौर पर खुला-कोण ग्लूकोमा (ओपन-एंगल ग्लूकोमा) के शुरूआत में कोई चेतावनी संकेत या पीड़ायुक्त लक्षण दिखाई नहीं देते हैं,यह धीरे-धीरे विकसित होता है और कभी-कभी कई वर्षों तक नजर में इतनी कमी नहीं आती है जिस पर रोगी का ध्यान जाए,जब तक रोगी को नजर की कमी का भान (आभास) हो पाता है,तब तक आमतौर पर रोग काफी बढ़ चुका होता है। बंद-कोण ग्लूकोमा (क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा) से पीड़ित व्यक्ति को सिरदर्द,आँखों में दर्द,उल्टी आना,नजर कम होना, बल्व के चारों सतरंगी गोले (कलर्ड हेलोज) दिखाई देना आदि लक्षण हो सकते हैं।
आँखों के दबाव की नियमित जाँच और नेत्र चिकित्सक के मार्गदर्शन में नियमित उपचार करने से ग्लूकोमा रोगी अपनी नजर को सुरक्षित रख सकते हैं। आँखों के दबाव की नियमित जाँच करवाएं,क्योंकि ग्लूकोमा का शुरूआत में ही पता लगा लेना और उसका उपचार करना,दृष्टि का दायरा सीमित होने और अंधता से बचने का एकमात्र तरीका है। ग्लूकोमा का कुछ लोगों में अधिक जोखिम होता है जैसे 40 वर्ष से अधिक आयु वाले लोग,ऐसे व्यक्ति जिनके परिवार में ग्लूकोमा का इतिहास है,ऐसे लोग जिनमें आँख के अन्दर का दबाव (आई.ओ.पी.) असामान्य रूप से अधिक है। ग्लूकोमा का खतरा इन रोगियों में बढ़ जाता है जैसे मधुमेह, मायोपिया (दूर की नजर कमजोर), नियमित, दीर्घकालिक स्टेराॅइड/काॅर्टिसोन का उपयोग, कोई पुरानी आँख की चोट, रक्तचाप का बहुत अधिक या बहुत कम होना। ग्लूकोमा का नियंत्रण एंटी ग्लूकोमा आई ड्राॅप्स के प्रयोग से किया जाता है। बंद कोण ग्लूकोमा के रोगियों हेतु याग लेजर पेरिफेरल आईराइडेक्टोमी (याग पी.आई.) नामक लेजर प्रक्रिया द्वारा नियंत्रित किया जाता है। दवा से नियंत्रित नहीं हो पाने वाले रोगियों में ग्लाॅकोमा फिल्टरिंग सर्जरी (ट्रेबेकुलेक्टोमी) नामक आपरेशन किया जाता है। इन सभी उपचारों का लक्ष्य दृष्टि क्षेत्र के दायरे में होने वाली हानि को रोकना है,क्योंकि ग्लूकोमा से खोई हुई नजर की हानि को ठीक नहीं किया जा सकता है। ग्लूकोमा से पीड़ित व्यक्ति को एंटी ग्लूकोमा आई ड्राॅप्स का प्रयोग नियमित रूप से करना चाहिए एवं बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवाओं का उपयोग बंद नहीं करना चाहिए।