क्रांति यात्रा का ब्रज के पर्वत आदिबद्री व कनकाचल को खनन मुक्त करने की अंतिम लड़ाई का आगाज
महापूजन व ब्रज रक्षण यज्ञ करके साधु संतों व ग्राम वासियों ने ब्रज के पर्वतों को बचाने की खाई सौगंध
पहाड़ी (भरतपुर,राजस्थान/ भगवानदास) पहाड़ी ब्रज के पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को खनन मुक्त कराने के लिए चल रहे धरने के 169 वे दिन साधु-संतों, ग्राम वासियों व आंदोलनकारियों ने इस आंदोलन की अंतिम लड़ाई, 'क्रांतियात्रा' का महा पूजन व ब्रज रक्षण यज्ञ करके शुरुआत करी । भरतपुर की नगर व पहाड़ी तहसील से में होकर निकलने वाली 11 दिवसीय इस यात्रा में ब्रजक्षेत्र के पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को खनन मुक्त कराने के लिए आंदोलनकारियों द्वारा अंतिम प्रहार माना जा रहा है। आंदोलनकारियों का कहना है कि अगर इन 11 दिवसो में सरकार उनकी बात नहीं मानती है तो वह आमरण अनशन के साथ-साथ आत्मदाह के लिए भी प्रेरित हो सकते हैं । समिति के संरक्षक पूर्व विधायक गोपी गुर्जर ने उपस्थित सभी साधु संत, ग्रामवासी, वैष्णव जनों को संबोधित करते हुए कहा कि ब्रज के पर्वतों की लड़ाई अब अंतिम चरण में है । हम करो या मरो की स्थिति में हैं ।प्रशासन व सरकार दोनों सब कुछ समझते व देखते हुए भी मूक दर्शक बन कर इन दिव्य पर्वतों को नष्ट होने दे रही है ।आज हमारे आंदोलन को 169 दिन के करीब हो गए हैं व सरकार के समस्त अधिकारियों को आंदोलन की सभी गतिविधियों के बारे में पूर्णतया मालूम है आश्वासन भी दिए गए हैं लेकिन साथ में ही खनन माफिया भी बेखौफ होकर दोनों पर्वतों को नष्ट करने पर उतारू है । उन्होंने कहा कि हमारे पास अब और कोई चारा नहीं बचा है या सरकार इन दोनों पर्वतों को खनन मुक्त कर संरक्षित वन घोषित करें अन्यथा इस बार राजस6 की सरकार को कई साधु-संतों की आमरण अनशन के चलते मौत का जिम्मेदार होना होगा। ग्राम अलीपुर में आयोजित हुई सभा के दौरान राधाकांत शास्त्री ने सरकार को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री को साधु संतों का भरोसा नहीं तोड़ना चाहिए, उन्होंने हमें भरोसा दिलाया था कि वह शीघ्र ही हमारे आराध्य पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को खनन मुक्त करेंगे लेकिन 4 महीने के करीब व्यतीत होने के बाद भी ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वह इन पर्वतों के रक्षण के लिए तैयार नहीं है व राजनीतिक दबाव में या फिर किसी और प्रभाव में वह इन दोनों पर्वतों को खत्म होने के पक्ष में है। यह देखते हुए इस यात्रा के माध्यम से हम आदिबद्री और कनकाचल के हर गांव में जाकर सभी ग्राम वासियों को इस आंदोलन व अंतिम लड़ाई के लिए में पूरी निभाने के लिए तैयार करेंगे व यात्रा के समापन के बाद जो भी परिस्थति बनेगी उसकी जिम्मेदार स्वयं राजस्थान की सरकार होगी । उन्होंने स्पष्ट किया कि साधु संत इस बार मरने के लिए ही इस यात्रा में आए हैं व किसी भी कीमत में पीछे नहीं हटेंगे । क्रांति यात्रा में मान मंदिर गुरुकुल के छोटे साधु बालक, बृजवासी, संतगण व कई जनप्रतिनिधि सम्मिलित हुए । संपूर्ण यात्रा में हरि नाम कीर्तन की धुन बजती रही । वहीं गुरुकुल के सैकड़ों साधु बालक भी भगवा वस्त्र में कीर्तन पर थिरकते नजर आए। यात्रा जहां से भी निकली और सब ग्रामवासी के लिए कौतूहल का विषय बनी और सब ग्रामवासी बाहर निकल निकल कर इस यात्रा को देखने व इसमें सम्मिलित होने के लिए आगे बढ़े। क्रांति यात्रा आज अलीपुर ग्राम होते हुए अपने पड़ाव आदिबद्री धाम पर पहुंची जहां भगवान आदिबद्रीनाथ का महापूजन एवं आरती करके सभी आंदोलनकारियों व यात्रीगणों ने ब्रज के पर्वतों की रक्षा के लिए प्रार्थना करी। यात्रा में मुख्य रूप से आदिबद्री के महंत शिवराम दास, हरि बोल बाबा, गोपाल मणि बाबा, शिव शंकर महाराज, सत्यप्रकाश यादव, गौरांग बाबा, ब्रजकिशोर बाबा, पूर्व सरपंच सुल्तान सिंह आदि कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे ।