क्रांति यात्रा पहुंची सीकरी, बल्देववास व इमराली के ग्रामीणों ने किया भव्य स्वागत, पर्वतों के आंदोलन में हर संभव योगदान देने का लिया संकल्प
आंदोलनकारियों ने कामा विधायक को लिया आड़े हाथों ; कहा भ्रामक प्रचार ना करें, इससे उनकी व वर्तमान सरकार की छवि भी धूमिल होगी
सीकरी (भरतपुर,राजस्थान/ शैलेंद्र गर्ग) क्रांति यात्रा अपने पड़ाव पालका से बल्देववास, इमराली आदि गावों से होती हुई सीकरी पहुंची। सीकरी पहुंचने पर सीकरी वासियों ने यात्रा का भव्य स्वागत कर साधु संतों व आंदोलनकारियों की इस मुहिम को अपना पूर्ण समर्थन प्रदान किया। पूर्व सरपंच ने यात्रा को संबोधित करते हुए कहा की ब्रज के पर्वत न केवल सांस्कृतिक, पौराणिक अथवा धार्मिक रूप से अति महत्वपूर्ण है बल्कि हमारे पर्यावरण व जीवन के लिए भी अत्यंत आवश्यक हैं। इनका रक्षण मानव जीवन के रक्षण के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने कामां की विधायक को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि विधायक महोदया व खनन कर्ताओ द्वारा साधु संतों के खिलाफ भ्रामक प्रचार करवाया जा रहा है कि आंदोलन खनन माफियाओं से कुछ पैसे ऐंठने के लिए किया जा रहा है।उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा जायदा खान शायद भूल गई है कि रमेश बाबा महाराज, मान मंदिर व यहां के साधु संत पिछले 20 वर्षों से ब्रज के पर्वतों को बचाने के लिए लगे हुए हैं जिसका अधिकांश हिस्सा उन्हीं के प्रयासों द्वारा 2009 में खनन मुक्त कर दिया गया है अब उन्हीं पर्वतों का थोड़ा सा ऐसा जो शेष रह गया है उसके लिए संघर्ष चल रहा है और यह संघर्ष तब तक खत्म नहीं होगा जब तक दोनों पर्वतों पूर्ण रूप से खनन मुक्त होकर संरक्षित वन क्षेत्र घोषित नहीं हो जाते है। इस पर मान मंदिर के राधा कांत शास्त्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश व राजस्थान ही नहीं बल्कि विश्वभर में फैले करोड़ो कृष्ण भक्त सब लोग जानते हैं कि मान मंदिर पूरे भारतवर्ष की एक अग्रगणीय संस्था है, जहां 55000 से अधिक गो वंश का पूर्ण सेवा भाव से पोषण हो रहा है और जिसके द्वारा ऐसे अनेक कल्याणकारी सामाजिक आध्यात्मिक कार्य करवाए जा रहे हैं जिनमें हर महीने कई करोड़ो खर्च होते हैं। इस तरीके का निम्न स्तरीय आक्षेप लगाकर कामां विधायक अपनी खुद की छवि को धूमिल कर रही हैं । वह भारत के साधु-संतों व भारतीय सनातन धर्म की महत्ता नहीं जानती हैं नहीं वह ब्रजभूमि की महत्ता जानती हैं । उन्होंने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ और सिर्फ कनकाचल व आदिबद्री पर्वत के बचे हुए हिस्से को खनन मुक्त कर संरक्षित वन घोषित करने के लिए किया जा रहा है और यह तब तक खत्म नहीं होगा तब तक पूर्ण रूप से आदिबद्री व कनकाचल पर्वत साथ ही संपूर्ण ब्रजक्षेत्र का पर्वतीय क्षेत्र को सुरक्षित नहीं हो जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि हम तो सरकार के साथ वार्ता कर इस संपूर्ण क्षेत्र को इकोलॉजिकल अभ्यारण्य व अध्यात्मिक पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए तैयार हैं ताकि यह क्षेत्र हमेशा के लिए सुरक्षित हो सके व इससे जो भीआय हो वह सरकारी कोष में जाए और इसके द्वारा ब्रजवासियों को भी भारी मात्रा में रोजगार भी मिले सके। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा की इस तरीके की पूर्ण असत्य व भ्रामक बातों से अगर सरकार और प्रशासन भ्रमित होता है तो यह उनकी बहुत बड़ी भूल होगी। सरकार जब चाहे तब हम यहां बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं, वैष्णव और कृष्ण भक्तों को इकट्ठा कर सकते हैं लेकिन सिर्फ कोरोना महामारी के चलते व मुख्यमंत्री पर हमारे अभी भी विश्वास के चलते हम कुछ नहीं कर रहे हैं अन्यथा अगर आंदोलन बड़ा होता है तो इसके बहुत बड़े दुष्परिणाम वर्तमान कांग्रेस सरकार को भुगतने पड़ सकते हैं और मुख्यमंत्री की छवि भी धूमिल हो सकती है । अगर सरकार यही चाहती है तो हम यह भी करने के लिए तैयार है । हमें सिर्फ अपने परम आराध्य ब्रज के पर्वत कनकाचल व आदिबद्री की पूर्ण सुरक्षा चाहिए । वही सीकरी में आयोजित सर्व जातीय सभा को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक गोपी गुर्जर ने सरकार को सावधान करते हुए का कि किसी भी स्थिति में इस आंदोलन को सरकार हल्के में ना लें। उन्होंने कहा कि हमारी एक आवाज पर देश भर का गुर्जर समाज हजारों हजारों की संख्या में यहां एकत्रित हो सकता है, रमेश बाबा महाराज के एक संकल्प से देशभर का संत समाज सभी मठाधीश महामंडलेश्वर आदि इन पर्वतों को बचाने के लिए इकट्ठा हो सकते हैं व एक बहुत बड़ी क्रांति लाई जा सकती है लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री ने विश्वास दिलाया है व उन्होंने दोनों पर्वतों की सुरक्षा की गंभीरता को भी समझा है इसी के चलते अभी तक हमने कोई सख्त निर्णय नहीं लिया है। लेकिन अगर 5 तारीख तक सरकार अपना वादा पूरा नहीं करती है तो फिर साधु-संतों पर हमारा कोई जोर नहीं चलेगा, वह स्वतंत्र रूप से भारी मात्रा में आमरण अनशन पर बैठेंगे और बहुत आश्चर्य की बात नहीं होगी इनमें से कुछ आत्मदाह के लिए भी प्रेरित हो जाएं ।आज क्रांति यात्रा अपने विलक्षण स्वरूप में से बल्देववास, इमराली आदि गावों से होते हुए हुए सीकरी पहुंची । हर गाँव में आम सभा का आयोजन किया गया जिसमें भारी संख्या में स्थानीय ग्रामवासी उपस्थित रहे एवं ब्रज के दोनों पर्वतों के संरक्षण के लिए एक ध्वनि से शपथ ली । यात्रा में साधु संतों व साध्वियाँ के अलावा बड़ी मात्रा में आसपास के गांव के लोग सम्मिलित हुए जिन्होंने यात्रा के दौरान दोनों पर्वतों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई । इस अवसर पर साधु संतों व स्थानीय ग्रामीणों के अलावा कई गणमान्य लोग उपस्थित थे इनमें महंत शिवराम दास, भूरा बाबा, साध्वी मधुबनी, साध्वी आराधना, साध्वी श्यामा, ब्रजकिशोर, पूर्व सरपंच पालका के सत्यप्रकाश यादव, सरपंच प्रतिनिधि ब्रजमोहन, पूर्व सरपंच गोपाल सिंह, समाजसेवी डालचंद यादव, विश्राम, बच्चू पटेल, मोहनसिंह बल्देववास के उदल सिंह फौजी, चेतराम, राम खिलाड़ी, गोपीचंद, नंदराम यादव, धनसिंह यादव, समय सिंह, जीत सिंह वहीं ईमराली से विश्राम गुर्जर, घनश्याम, जयपाल, रामकिशन, भरत एवं सीकरी से राम खंडेलवाल,संतोष जैन,ताराचंद जैन,गणपत शर्मा अरविंद जैन,मनोहरी प्रजापत सुमेर इंदर मुखी, आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे । सैकड़ों यात्रा ने सीकरी थाने पहुंच कर उप पुलिस अधीक्षक को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौपा व उनके द्वारा आंदोनकारियों के खिलाफ गलत तरीके से कारवाही करने पर भी विरोध प्रदर्शित किया ।