ऑनलाइन सीखते हैं अलग-अलग भाषा, OLX पर ठगने के लिए होती है पूरी ट्रेनिंग
सेना की फर्जी आईडी और सोशल साइट से कर रहे ठगी
भरतपुर (राजस्थान/ रामचंद सैनी) भरतपुर का मेवात इलाका ठगों का गढ़ माना जाता है। यहां टटलूबाजों यानी ठगी करने वालों की नई नस्ल तैयार हो रही है। अनपढ़ होने के बावजूद ये लोग ज्यादा शातिर और चालाक हैं। जो पढ़े-लिखे लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। गिरोह के मुखिया OLX पर ठगने के लिए इन नई नस्लों को तैयार कर रहे हैं। यह ठग मोबाइल से नई-नई तकनीकों का पता लगा लाखों रुपए की ठगी चंद सेकेंड में ही कर देते हैं।
भरतपुर के आसपास के गई गांव टटलूबाजी का गढ़ माना जाता है। ठगी करने से पहले ठग को बहुत कुछ सिखना पड़ता है। मोबाइल से अलग-अलग स्टेट की भाषा सिखने की ट्रेनिंग दी जाती है। मेवात इलाके के कई ऐसे टटलूबाज हैं जो गुजराती, बिहारी और इंग्लिश तक जानते हैं। जो भाषा नहीं बोल पाते वे मोबाइल पर उन्हें कंवर्ट कर बोलते हैं। अपनी बातों में फंसा लेते हैं।
क्लासीफाइड साइट में फर्जी विज्ञापन देकर लाखों रुपए की ठगी करते हैं। सबसे पहले सोशल साइट पर किसी भी सामान बेचने के लिए एक ऐड डाला जाता है। उसमें टटलूबाज का नंबर होता है। यह विज्ञापन किसी एक शहर के लिए होता है। जैसे ही कोई व्यक्ति उनसे कॉन्टेक्ट करता है तो टटलूबाज खुद को उसी शहर के आसपास का बताता है। टटलूबाज के पास उस शहर के फर्जी आईडी कार्ड भी होते हैं। जिसे दिखाकर वह झांसे में लेता है। कोरोना या कोई और बहाना बताकर यह कहा जाता है कि गाड़ी या सामान होम डिलीवरी होगी। इसके लिए अपने डॉक्यूमेंट ऑनलाइन भेजें। जैसे ही वह अपने डॉक्यूमेंट भेजता है तो खरीदने वाले यानी पीड़ित से डिलीवरी चार्ज मांगा जाता है। इसके बाद इंश्योरेंस के अलग से रुपए लिए जाते हैं।