शाहपुरा में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह में मनाया गया जीवन विज्ञान दिवस
जीवन विज्ञान शिक्षा से सर्वांगीण व संतुलित विकास हो सकता-उपाध्याय
भीलवाड़ा (राजस्थान/ बृजेश शर्मा) शाहपुरा में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अंर्तगत आज राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय माताजी का खेड़ा में जीवन विज्ञान दिवस मनाया गया।, अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का द्वितीय दिन जीवन विज्ञान दिवस के रूप मनाया गया। कार्यक्रम में जैन विश्व भारती के 50वें वार्षिक अधिवेशन का शुभारंभ भी आज हुआ।
संचिना कला संस्थान के अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष तेजपाल उपाध्याय, समिति के पूर्व अध्यक्ष रामस्वरूप काबरा व विद्यालय के प्रधानाचार्य मोहब्बत अली कायमखानी की मौजूदगी में आयोजित कार्यक्रम में समिति के मंत्री गोपाल पंचोली ने जीवन विज्ञान विषय पर अपनी बात रखते हुए प्रायोगिक तौर पर प्रयोग कराये।
अणुव्रत समिति के अध्यक्ष तेजपाल उपाध्याय ने कहा कि आचार्य श्री तुलसी व आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी द्वारा शिक्षा जगत के लिए जीवन विज्ञान एक विशिष्ट अवदान है। जिसमे दोष व विकृतियों को दूर करने का पहले से प्रशिक्षण दिया जाता है। पहले से अच्छे संस्कार आ जाए तो अवांछनीय विकृति उत्पन्न नहीं होती है। जीवन विज्ञान की शिक्षा पद्धति से विद्यार्थी का शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और भावनात्मक रूप से सर्वांगीण, संतुलित विकास अच्छे से हो सकता है। जीवन जीने की सही कला अगर आ जाये तो जीवन सफल बन सकता है।
समिति के पूर्व अध्यक्ष रामस्वरूप काबरा ने जीवन विज्ञान के महत्व के बारे में बताया औऱ कहा कि आदमी को अपनी जिज्ञासा का उचित समाधान करते रहना चाहिए। प्रधानाचार्य मोहब्बत अली ने कहा कि जीवन विज्ञान को समझना आवश्यक है। इसके आधार पर विद्यार्थियों को अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित कर जीवन को संवारने का कार्य करना चाहिए।
समिति के सचिव गोपाल पंचोली ने अणुव्रत आंदोलन का महत्व बताते हुए कहा अणुव्रत नैतिकता की आचार संहिता है। यह जन जन को नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा देता है। यह असाप्रदायिक आंदोलन है। किसी भी धर्म संप्रदाय का अनुयायी इसे स्वीकार कर सकता है। इस आंदोलन से देश में व्याप्त भ्रष्टाचार आतंक और चारित्रिक पतन को रोका जा सकता है । आचार्य श्री तुलसी की मानवता के लिए अणुव्रत बहुत बड़ा उपयोगी अवदान है। अणुव्रती एक सीमा तक व्रतों का पालन करते हैं। अणुव्रत को अपनाकर हम अपने जीवन को सुख व शांतिमय बना सकते हैं ।