शहीदे आजम भगत सिंह की 113 वी जयंती मनाई
किशनगढ़ अलवर
किशनगढ़बास। कस्बे के अलवर रोड पर स्थित कार्यालय पर तहनोली सरपँच संजीव कुमार के नेतृत्व में शहीद ए आजम भगत सिंह की 113 वी जयंती पर मनाई गई एवं एक विचार गोष्ठी का आयोजन भी किया गया। इस मौके पर भगत सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया। गोष्ठी के दौरान सरपँच संजीव कुमार ने कहा कि भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को लायलपुर जिले के बंगा में हुआ था। हर भारतीय की तरह भगत सिंह का परिवार भी आजादी का पैरोकार था। उनके चाचा अजीत सिंह और श्वान सिंह भी आजादी के मतवाले थे और करतार सिंह सराभा के नेतृत्व में गदर पाटी के सदस्य थे। अपने घर में क्रांतिकारियों की मौजूदगी से भगत सिंह पर गहरा प्रभाव पड़ा। इन दोनों का असर था कि वे बचपन से ही अंग्रेजों से घृणा करने लगे। 14 वर्ष की उम्र में भगत सिंह ने सरकारी स्कूलों की पुस्तकें और कपड़े जला दिए। जिसके बाद भगत सिंह के पोस्टर गांवों में छपने लगे। स्वतंत्रता की लड़ाई में भगत सिंह का अहम योगदान रहा उन्होंने मात्र 23 साल की उम्र में हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम कर इतिहास में अपना नाम अमर कर दिया था इस अवसर पर पार्टी प्रवक्ता रहमत शाह अल्वी, नवेद फारुकी, गोल्डी गरेवाल, जुबेर खान, फहद सिद्दीकी, किशन चंद, दीपेंद्र सिंह, दिनेश सैनी, रविंद्र, विष्णु नरूका, सुंदर आदि कांग्रेसी शामिल हुए
श्याम नूरनगर की रिपोर्ट