काशी की तर्ज पर पौन घण्टे तक मोर पंख सहित 9 तरह की आरती का हुआ समापन
राष्ट्र की समृद्वि व मनोकामना पूर्ति के लिए आयोजित 100 कुंडिया गणेश लक्ष्मी महायज्ञ का की पूर्णाहुति आज
भीलवाड़ा (राजस्थान/ बृजेश शर्मा) अखिल भारतवर्षीय धर्मसंघ, स्वामी करपात्री फाउंडेशन एवं हरिशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्र की समृद्वि व मनोकामना पूर्ति के लिए हरिशेवा उदासीन सनातन मन्दिर में चल रहे 100 कुंडीय गणेश महालक्ष्मी यज्ञ का समापन रविवार सुबह होगा। शनिवार को काशी की तर्ज पर हो रही विशेष महा आरती का विश्राम हुआ। इस यज्ञ में 150 पण्डितो ने विश्व कल्याण व राष्ट्र की समृद्धि के लिए घण्टो तक अनवरत आहुतियां दी। काशी की तर्ज पर गंगा माता की महाआरती की । आरती की विशेषता यह थी की इस आरती को 1 पंडित नहीं बल्कि 3 पंडित करते थे। आरती 9 प्रकार से पौन घण्टे तक होती थी। इसमें मोर पंख आरती, गूगल आरती, शंख आरती, बड़े दीपक से आरती, कपूर आरती, चमर आरती, वस्त्र आरती, बत्ती आरती, धूप आरती आदि शामिल है।
सर्वप्रथम शंखनाद कर , ड्रोन के माध्यम से आकाशीय पुष्प वर्षा कर गुरु पूजन कर आज अंतिम दिन महाआरती का शुभआरम्भ किया गया । माँ गंगा की आरती , भागीरथी वंदन , श्री गणेश आरती , शिव तांडव स्त्रोत , गंगा स्त्रोत व अंत में हर हर महादेव व यज्ञ नारायण भगवान के जयकारों के साथ महाआरती पर्व को विश्राम दिया गया ।
दिनांक 13/9/2021 से चल रहे महायज्ञ में भीलवाड़ा ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारतवर्ष से अनेक शहरों से अनुयायी दर्शन व परिक्रमा करने पहुँचे ।
अंतिम आरती में बाल ब्रह्मचारी त्रयम्बकेश्वर जी महाराज, महामंडलेश्वर हंसराम उदासीन महाराज सहित अनेक साधु संत मौजूद रहे। सद्विचार परिवार, भारत विकास परिषद विवेकानंद के बंशीलाल, गोपाललाल, गोविंद प्रसाद, शिवकुमार सोडाणी परिवार द्वारा 16 संतों का शाल ओढ़ाकर भव्य आयोजन के लिए सम्मान किया गया। इस आयोजन में हरिशेवा धाम के सेवा धारियों, सनातन संस्कृति समिति, सिंधी समाज, अग्रवाल बायोडाटा समिति, हरिशेवा भक्त मंडली, दधीचि महिला मंडल, आजाद नगर समिति, माहेश्वरी महिला मंडल, बड़ा मंदिर सेवा समिति, दुधाधारी मंदिर समिति, आरसी व्यास पिपलेश्वर मंदिर समिति का सहयोग रहा। आयोजक परिवार के राधेश्याम, छीतरमल, कृष्ण गोपाल व प्रह्लाद अग्रवाल बताया की कार्यक्रम में दंडी स्वामी प्रबोधाश्रम महाराज, नृसिंह भारती महाराज, आचार्य हरि ओम महाराज, स्वामी नारायण महाराज, ब्रह्मचारी देवेश महाराज का सानिध्य मिला। यज्ञ में रजनीकांत आचार्य, गोविंदप्रसाद सोडानी, पंडित अशोक व्यास, अशोक मुंदड़ा, केसर सिंह चौधरी, ओम शर्मा आदि का व्यवस्थाओं में सहयोग रहा।