सामाजिक समरसता के प्रतीक लोक देवी-देवता विषय पर हुई ऑनलाइन संगोष्ठी
बहरोड अलवर
अखिल भारतीय साहित्य परिषद जयपुर प्रान्त द्वारा सामाजिक समरसता के प्रतीक लोक देवी देवता विषय पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन कुलश्रेष्ठ जी के सानिध्य में किया गया।
मुख्य वक्ता अन्नाराम जी शर्मा ने अपने वक्तव्य में लोक देवी देवताओं द्वारा समाज को दिए गए सकारात्मक संदेश की महत्ता बताई। उन्होंने कहा कि सभी प्रकार के जाती धर्म इत्यादि कुरीतियों से ऊपर उठकर कुछ महान व्यक्तियों व विभूतियों द्वारा लीक से हटकर समाज उत्थान में अभूतपूर्व कार्य किये उन्हें ही लोक देवी देवता मानकर पूजनीय उपाधि दी गयी।
आशीर्वचन देते हुए विपिन जी पाठक द्वारा इस सभी मान्यताओं से जुड़े हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर चर्चा की गई। व मुख्य अतिथि विजय नागपाल जी द्वारा वर्तमान परिवेक्ष में युवाओं की इन मान्यताओं के प्रति कम होती आस्थाओ पर विश्लेषण किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ओमप्रकाश जी 'सरस्' द्वारा विषय को सारगर्भित करते हुए इसकी प्रासंगिकता से परिचय कराया गया। परिषद गीत साकार श्रीवास्तव द्वारा व कार्यक्रम संचालन बहरोड़ इकाई के महामंत्री डॉ. अशोक मिश्र 'कोविद' द्वारा किया गया। साथ ही विशिष्ट वक्ताओं द्वारा विभिन्न देवी देवताओं के संबंध में आलेख प्रस्तुत किये गए जिसमें बहरोड़ इकाई से कमल नयन शर्मा द्वारा जीण माता की महिमा का गुणगान किया गया एवं उनके इतिहास, जीवन व वर्तमान में चलने वाले मेले की महत्ता से भी अवगत कराया गया। विषय आधारित काव्यपाठ में डॉ. सविता गोस्वामी द्वारा रोला छंद में वीर तेजाजी महाराज की गाथा पर प्रकाश डाला गया व उनकी तांती बांधने से सर्पदंश से बचाव की मान्यता संबंधित अन्य गुणगान किये गए। अन्य वक्ताओं में राजेंद्र शर्मा मुसाफिर द्वारा गोगाजी, डॉ. अखिलेश एवं गोविंद शरण शर्मा द्वारा केला देवी, धूड़ाराम जी पदम द्वारा बाबा देवनारायण, स्नेह प्रभा मिश्रा द्वारा शीतला माता, देवेंद्र भारद्वाज द्वारा बाबा रामदेव तथा राजेन्द्र नायला द्वारा झुझार जी, डूंग जी व जवाहर जी की लोकमहिमा से अवगत कराया गया। अन्य काव्यपाठ में गिरिराज शास्त्री, विजयकांत शर्मा, व मुकेश शर्मा ने अपनी प्रस्तुति दी।
योगेश शर्मा की रिपोर्ट