सहकारिता का सर्वश्रेष्ठ मॉडल थी हमारी परंपरागत अर्थव्यवस्था- राधामोहन
समाज के अंतिम व्यक्ति के चेहरे पर खुशी का भाव लाने का ध्येय अंत्योदय है और इसको साकार करना सहकारिता भारती का कार्य
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने सहकार भारती के 7वें राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन सत्र को किया संबोधित
लखनऊ (उत्तरप्रदेश/ शशि जायसवाल/ बृजेश शर्मा) आजादी का अमृत महोत्सव का उद्देश्य देश के गौरवशाली अतीत का स्मरण करते हुए समावेशी विकास की अवधारणा को साकार करना है। नौजवानों और किसानों को आत्मनिर्भर बनाना देश की प्राथमिकता है। यह विकास सहकारिता के बगैर संभव नहीं है। सहकारिता क्षेत्र में अभी बहुत कार्य होने की आवश्यकता है। सहकारिता मंत्रालय का गठन कर केंद्र सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता स्पष्ट की है। सहकारिता भारत के लिए कोई नई बात नहीं है। सहकारिता हामारे स्वभाव में है। यह बातें पूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री एवं सांसद राधामोहन सिंह ने कहीं। वह रविवार को राजकीय पॉलीटेक्निक परिसर में सहकार भारती के 7वें राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमारे गांव सहकारिता के परंपरागत आधार थे। आत्मनिर्भर और स्वावलंबी गांवों का मॉडल सहकार भारती को पुनः स्थापित करने करना होगा। सहकारिता आज देश की सबसे बड़ी आवश्यकता बन चुकी है। सहकारिता और अंत्योदय एक-दूसरे के पूरक हैं। समाज में अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति के चेहरे पर खुशी का भाव लाने का ध्येय अंत्योदय है और इस ध्येय को साकार करने का कार्य सहकारिता भारती ही कर सकती है। प्रत्येक गांव अपनी जरूरत की वस्तुओं का उत्पादन, शोधन, परिष्कार और विपणन स्वयं के संसाधनों से करता था। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि 1859 में गुजरात के बड़ोदा में अंत्योदय सहकार समिति बनी थी। 1004 में किसानों के संघर्ष के बाद कांग्रेज सरकार ने कोऑपरेटिव सोसाइटी एक्ट बनाया था। आज सहकारिता ने विशाल वटवृक्ष का स्वरूप स्वीकार किया है, इसका बीज उसी 1904 के किसान आंदोलन में रोपा गया था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि भारत में आज आठ लाख से अधिक सहकारी समितियां हैं। 40 करोड़ से अधिक इसके सदस्य हैं। इसमें 97 फीसदी ग्रामीण नागरिक जुड़े हैं। कृषि उत्पादन में 17 फीसदी का योगदान सहकारिता का है। सहकारिता को समृद्ध करने में नरेन्द्र मोदी सरकार का बड़ा योगदान है। उन्होंने सहकार भारती के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारिता से ग्रामोदय के साथ अंत्योदय का स्वप्न साकार हो सकता है। केंद्र सरकार ने नाबार्ड के माध्यम से सहकार समितियों के लिए ऋण वितरण की प्रक्रिया को सहज और सरल किया गया है। सहकारी समितियों के प्रशिक्षण पर काफी जोर दिया जा रहा है। मोदी सरकार ने सहकारिता प्रशिक्षण कार्यक्रमों में व्यापक विस्तार किया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सहकार क्षेत्र में संस्कारवान नेतृत्व की आवश्यकता है। यह कार्य सहकार भारती ही कर सकती है। गांव, गरीब, किसान और नौजवान को समृद्ध बनाना होगा। देश में आज जितनी भी चुनौतियां शेष बची हैं, उनको सहकारिता के माध्यम से निपटा जाएगा। सहकारिता के माध्यम से ही मोदी सरकार का 'सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास' उद्देश्य सार्थक हो सकता है। इस दौरान मंच पर नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष दीनानाथ ठाकुर, राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. उदय जोशी भी मौजूद रहे। सहकार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय पाचपोर ने 7वें राष्ट्रीय अधिवेशन के सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ताओं का आभार जताया।
वहीं, राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन सत्र में उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष और महामंत्री का निर्वाचन हुआ। चुनाव अधिकारी के रूप में राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. उदय जोशी मौजूद रहे। उत्तर प्रदेश के निर्वाचन में सर्वसम्मति से अध्यक्ष के लिए ब्रज क्षेत्र के एटा निबासी डॉ. नरेन्द्र उपाध्याय एवं कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के उरई निवासी डॉ. प्रवीण सिंह जादौन को प्रदेश महामंत्री के रूप में नवनिर्वाचित किया गया।