पद यात्रियो ने किए दिव्य पर्वतों के दर्शन
भरतपुर,राजस्थान / पदम चंद जैन
डीग -20 नबम्बर राधा रानी ब्रजयात्रा ने शुक्रवार को जड़खोर गुफा से चलकर द्धापरकालीन कृष्ण लीला स्थली आदिबद्री में अपना पडाब डाला। इस मौके पर प्रबचन करते हुए संत राधा कांत शास्त्री ने कहा कि ब्रज के दिव्य पर्वत वस्तुतः गिरिराज जी के ही स्वरूप हैं परंतु खनन माफियाओं व प्रशासनिक अधिकारियों की मिली भगत से इनका स्वरूप विकृत किया जा रहा है। प्रारम्भ में मलूक पीठाधीस्वर राजेन्द्र दास जी की गौशाला में बालभोग हुआ और गांव खोह में पद यात्रियो का भव्य स्वागत किया गया। कहा जाता है कि खोह में रास के मध्य कृष्ण अंतर्धान हो गए थे अर्थात खो गए और गोपियाँ उन्हें सर्वत्र खोजती रहीं। भगवान कृष्ण ने सभी लीलाये वन सरोवर दिव्य पर्वतों के मध्य कीं थीं लेकिन प्रकृति व पर्यावरण के प्रति दृष्टिहीनता ने अध्यात्म जगत को बड़ी ठेस पहुंचाई है। कार्यक्रम मौजूद आसपास के सभी सरपंचों ने भी वन पर्वतों के विनाश पर चिंता व्यक्त की। राधाकांत शास्त्री ने बताया कि बद्रीनाथ से भी पूर्व से यहाँ आदि बद्री विराज मान हैं । इस मौके पर ब्रजदास बरसाना, विहिप जिला अध्यक्ष शिवराम पहलवान , सरपंच जलाल खान सरपंच विजय सिंह, हाफिज खान आदि ने मंत्रणा करके कहा कि दिव्य पर्वतो पर अबैध खनन पर लगाम लगाने के लिए जल्दी ही एक महा पंचायत की जाएगी जिसमे वन पर्वतों के रक्षा व संरक्षण की व्यूह रचना तैयार की जाएगी।