जल महलों की नगरी डीग पहुंची राधारानी ब्रज यात्रा पुष्प वर्षा कर लोगो ने किया पद यात्रियों का स्वागत
ड़ीग (भरतपुर, राजस्थान/ पदम जैन) राधा रानी ब्रज चौरासी कोस यात्रा गुरुवार को पूंछरी का लौठा से ऊमरा, डीग, महमदपुर होते हुए अपने आज के पड़ाव स्थल टांकोली पहुंची । गुरुवार को करीब 5000 पद यात्रियों ने हरिनाम का संकीर्तन और नृत्य करते हुए जल महलों की नगरी में प्रवेश किया तो वातावरण भक्ति मय हो गया ।कस्बे के लोगों ने उनका पुष्प वर्षा कर स्वागत करते हुए गणेश मंदिर पर आग्रह पूर्वक पद यात्रियों को रोक कर जलपान कराया। भारतवर्ष के अलग-अलग हिस्सों से आए पद यात्रियों ने ब्रजभूमि के आलौकिक रूप के दर्शन करते हुए एवं भगवान कृष्ण के विभिन्न लीला स्थलियों का भ्रमण कर यंहा विभिन्न मंदिरों के दर्शन किये । उल्लेखनीय है कि ब्रज के विरक्त संत रमेश बाबा महाराज की प्रेरणा से मान मंदिर द्वारा विगत 30 वर्षों अधिक से प्रतिवर्ष ब्रज 84 कोस की यात्रा निकाली जाती है जिसमें देश विदेश के 20 हजार से अधिक पद यात्री सम्मिलित होते हैं जिनका भोजन, ठहरने आदि व्यवस्था आदि सबकुछ निशुल्क रहता है । इस बार कोविड-19 का ध्यान में रखते हुए यात्रियों की संख्या को सीमित किया गया है ।
यह यात्रा दिनांक 17 अक्टूबर 2021 से राधा रानी की लीला स्थली बरसाना से प्रारंभ हुई थी जो 18 नवंबर को बरसाना में ही जाकर पूर्ण होगी। मान मंदिर बरसाना के कार्यकारी अध्यक्ष राधा कांत शास्त्री ने बताया है कि इस बार इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य ब्रज चौरासी कोस स्थित भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीला स्थली का दर्शन कराने के साथ साथ ब्रज के परम पवित्र पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को खनन मुक्त करा संरक्षित वन घोषित करवाना भी है। गौरतलब है कि विगत एक अक्टूबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी साधु संतों के समक्ष ब्रज के पर्वत आदिबद्री व कनकाचल को खनन मुक्त कर वन क्षेत्र में स्थानांतरित करने पर सैद्धांतिक घोषणा की थी जिसके उपरांत एक विस्तृत प्रस्ताव भरतपुर के जिलाधिकारी द्वारा राज्य सरकार को भेजा जा चुका है जो पिछले 25 से अधिक दिनों से अभी भी राजस्व मंत्री हरीश चौधरी के यहां स्वीकृति के लिए लंबित है।
यात्रा के संयोजक राधाकांत शास्त्री ने बताया कि राधारानी ब्रज यात्रा पूरे विश्व की अपनी तरीके की बड़ी विलक्षण यात्रा है जहां किसी भी यात्री से कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता है जो 40 दिन तक ब्रज के विभिन्न धार्मिक स्थलों का दर्शन हुए यात्रा 5000 वर्ष प्राचीन पौराणिक परंपरा का निर्वहन कर रही है । पद यात्रा में ब्रज क्षेत्र के प्रमुख संतों व हजारों पदयात्रियों व ब्रजवासियों के अलावा प्रमुख रूप से मानमंदिर के सचिव ब्रजदास, संत गिरधर दास, साध्वी गौरी, श्रीजी, आराधना, ब्रज किशोर दास, कृष्ण दास, गोपाल दास बाबा आदि मोजूद थे ।