साधू संतों व ग्रामवासियों ने किया जिला कलेक्टर कार्यालय का घेराव, आदिबद्री व कंकाचल पर तुरन्त खनन बंद करने की रखी मांग
10 अप्रेल को हज़ारों लोगो के साथ आमंरण अनशन पर बैठने की दी चेतावनी
डीग (भरतपुर, राजस्थान/ पदम जैन) डीग तहसील के गांव पसोपा में ब्रज के पर्वत कंकाचल व आदिबद्री को खनन मुक्त करने की मांग को लेकर साधू संतों व स्थानीय ग्रामीणों के चल रहे धरने के 48वे दिन शुक्रवार को हजारों की संख्या में साधू संतो और ग्रामीणों ने भरतपुर पहुच कर जिला अधिकारी कार्यालय का घेराव कर प्रदर्शन किया गया।जिसके चलते जिला कलक्ट्रेट का माहौल काफी समय के लिए अत्यंत सवेंदनशील हो गया था ।ब्रज के पर्वतों की रक्षा का सन्देश लिए सेकड़ों वाहन पंक्तिबद्ध हो कर एक रैली के रूप जिलामुख्यालय के समीप इक्कट्ठे हुए जहाँ से सभी आंदोलनकारी पैदल मार्च करते प्रशासन के खिलाफ नारे लगाते ,कीर्तन नृत्य करते हुए जिला कलेक्ट्रेट पर पहुंचे । हजारों कि संख्या में नगर व पहाड़ी तहसील के ग्रामवासी, साधू संत, पर्यावरणविद आदि ने आदिबद्री व कंकाचल पर्वत पर प्रशासन के अनैतिक सहयोग से चल रहे खनन कार्य तुरन बंद करने के लिए भारी प्रदर्शन में भाग लिया व प्रशासन की ईमानदारी पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए ब्रज के पर्वतों की रक्षा के लिए नारे लगाए । साधू संतों व प्रदर्शनकारियों के बीच उक्त खनन के विरोध स्वरुप कीर्तन व साध्वियों का भावपूर्ण नृत्य इस प्रदर्शन का मुख्य आकर्षण रहा । संतों की जमात के साथ आई साध्वी आराधना से प्रदर्शन के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि सारा ब्रजमंडल हमारे लिए साक्षात कृष्ण ही हैं, व यहाँ की लता पता, पर्वत, नदी कुंड आदि परम पूज्यनीय व आराध्यनीय है । इनको किसी भी प्रकार की क्षति पहुँचाना बहुत बड़ा अपराध है । एक बार वन कटने पर पुन: उगाया जा सकता है , यहाँ तक कि मंदिर टूटने पर भी दोबारा बनाया जा सकता है। लेकिन पर्वत को अगर निर्ममता के साथ तोड़ा जा रहा है तो यह तो सर्वकालीन क्षति है जिसका कोई परिमार्जन नहीं हो सकता है । जयपुर से जाने माने पर्यावरणविद के एन सिंह ने कहा कि पर्वत ही वास्तव में प्रकृति के जैविक चक्र का केंद्र है , अगर यहीं नहीं रहेंगें तो शीघ्र ही प्रकृति में भयावह बदलाव आने की तीव्र संभावना है। जिससे सम्पूर्ण मानव प्रजाति खतरे में पड़ सकती है। और फिर बात ब्रज के पर्वतों की हो तो यह तो हमारे अध्यात्म एवं पौराणिक संस्कृति एवं मान्यता के आधारभूत स्तम्भ है । इनको तोडना तो सर्वथा अनिष्टकारी व अन्यायपूर्ण है । किसी भी रूप में पर्वतों को तोड़ना सर्वथा संपूर्ण मानवजाति के खिलाफ विनाशकारी कृत्य है एवं साथ ही आने वाली पीढ़ी के प्रति घोर कुठाराघात है । बड़ी संख्या में वृन्दावन कुम्भ व ब्रज से आए संत समाज ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने भरतपुर प्रशासन को नियंत्रित नहीं किया व आदिबद्री एवं कंकाचल पर्वत पर चल रहे खनन कार्य पर सम्पूर्ण प्रतिबन्ध नहीं लगाया तो 10 अप्रेल को इस मुद्दे को लेकर हज़ारों की संख्या में साधू संत, वैष्णव, ब्रजवासी आमरण अनशन पर बैठेगें । पूर्व विधायक गोपी गुर्जर ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि यहां का जिला प्रशासन तो जैसे सिर्फ इन खनन माफियाओं के लिए ही कार्य करते हुए हमारी लोकमान्यताओं, संविधान, आम जनमानस व सरकार तक की मूल भावनाओं को दरकिनार कर हर सम्भव तरीके से खनन माफियाओं को लाभ पहुंचाने में लगा हुआ है जिसके चलते नीचे के अधिकारियों पर हर कीमत पर खनन कर्ताओं का काम करने के लिए दबाव बना रहा । उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यह प्रदर्शन केवल आगे होने वाले बड़े जनांदोलन की झलक मात्र है। जहाँ देश भर के बड़े संगठन ब्रज के पर्वतों की रक्षा के लिए अनिश्चिकालीन महापड़ाव डालेंगें ।
जयपुर से आए समाजसेवी चंद्र शेखर खूंटेटा ने बताया कि सरकार के प्रतिनिधियों के समक्ष सारे विषय को विस्तृत रूप से रख दिया गया हैं।अब सरकार की ओर से निर्णायक चर्चा होनी बाकी है।
इस प्रदर्शन में मानमंदिर गुरुकुल के छोटे बच्चों ने पर्वतो की रक्षा के लिए ब्रज के पारम्परिक लोकगीतों का गान किया व अनूठी शैली में मुख्यमंत्री गहलोत से आदिबद्री एवं कंकाचल पर्वत की अविलम्ब रक्षा की अपील की । प्रदर्शन के संयोजक मानमंदिर के अध्यक्ष राधाकांत शास्त्री ने कहा कि विगत 20 वर्षों सारा साधु समाज ब्रज के पर्वतों को खनन मुक्त करवाने के लिए संघर्षरत है, जिनमे में से एक बड़ा हिस्सा इसी सरकार ने 2009 में संरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर दिया था लेकिन दुर्भाग्य वश नगर व पहाड़ी तहसील में पड़ रहे आदिबद्री व कंकाचल पर्वत पर अभी भारी खनन हो रहा है व उसकी आड़ में बड़े स्तर पर प्रशासन की मिलीभगत से अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है । उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि इस बार यह आंदोलन, जिसे 36 कौमों का समर्थन प्राप्त है औऱ यह अंतिम व निर्णायक है व हर हाल में उक्त पर्वतों को सुरक्षित होने के बाद ही समाप्त होगा भले ही इसके लिए कोई भी कुर्बानी देनी पड़े ।
इस प्रदर्शन में मुख्य रूप से आदिबद्री महंत शिवराम दास , पूर्व विधायक मोतीलाल खरेरा, समिति के महासचिव ब्रजदास, यादव नेता महेंद्र सिंह यादव, अखिल भारतीय गुर्जर महासभा के सचिव बच्चूसिंह बैंसला, कुलदीप बैसला, सरपंच जलाल खान, सुलतान सिंह, सरपंच विजय सिंह, सरपंच गिरिराज सिंह, सरपंच सत्यप्रकाश, शराबबंदी आंदोलन की प्रमुख पूनम छाबड़ा यादव, नितिन प्रधान, जयवीर सिंह, श्री राम चन्देला, अखिल भारतीय जाट महासभा, विजय मिश्रा, मनीष शर्मा, डॉ चरण सिंह सिनसिनवार, एडवोकेट राम कुमार, ऊदल यादव, मुकेश शर्मा आदि शामिल थे ।