श्याम से मिलने का सिर्फ सत्संग ही एक बहाना है -पाराशर
डीग (भरतपुर,राजस्थान/ पदम जैन) ड़ीग कस्बे के ऐतिहासिक लक्ष्मण मंदिर के प्रांगण में बाबा शिवराम दास के सानिध्य में श्री मद् भागवत ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिवस पर कोविड 19का पालन करते हुए व्यास पीठ पर विराजमान भागवताचार्य मंदिर मंहत मुरारी लाल पाराशर ने कहा कि जीवन में सत्संग का विशेष महत्व है।शास्त्रों में कहा है "विन सत्संग विवेक न होई "बिना सत्संग के ज्ञान व वैराग्य का जीवन में उदय नहीं हो सकता।ज्ञान और वैराग्य से व्यक्ति का जीवन भक्तिमय में हो जाता है।बिना धर्म के जीवन पशु के तुल्य है।पाराशर ने कहा कि सत्संग का अर्थ है कि सत्य का साथ,सत्य संसार का मूल है,तीनों कालों में सत्य संग रहता है,सत्य से बढ़कर कोई पद नहीं है,सत्य ही संसार का ईश्वर है।उन्होने कहा कि श्री मद् भागवत कथा का प्रथम श्लोक सत्यंम परम धीमही से कथा प्रारम्भ होती है। अतः जीवन में सत्य का आचरण जरुर होना चाहिए।
भगवान कृष्ण का साक्षात स्वरुप ही श्री मद् भागवत कथा है -भागवत जी की महिमा का वर्णन करते हुए पाराशर ने बताया कि भागवत जी भगवान कृष्ण की साक्षात वांग्मयी मूर्ती है,वेद और उपनिषेदों का सार है, ब्रम्हा जी की पूजा अर्चना है,साक्षात अमृत रुप है,रसिकों के लिए रस है,यह ऐसा रस है जो कि मुख से नहीं बल्कि कानों से इस रस का सेवन किया जाता है।भक्ति महारानी का श्रृंगार है,यशोदा मैया का वातसल्य भाव है,भगवान श्री कृष्ण की बाललीलाओं का वर्णन है।भागवत कथा सभी पापों का नाश करती है।जो व्यक्ति के मन को आन्नद देती हुई भगवान से मिलाती है। इस मौके पर कथा के दौरान जयपुर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री मति निधि झालानी को उत्तरीय उढ़ाकर सम्मानित किया गया।इस दौरान पाराशर ने भागवत कथा में नैमिसारणय वन एवं महात्मय का वर्णन किया गया।इस अवसर पर वैध नन्दकिशोर गंधी,मुकुट नसवारिया,पार्षद नीरज कपासिया,विष्णु मित्तल,रामकिशन गोयल ,महेश चंदगुप्ता,मानसिंह,ममता बंसल,आदि महिला पुरुष भक्त उपस्थित थे।