परिचर्चाओं और काव्य प्रस्तुतियों के बीच समपन्न हुआ युगीन कला साहित्य प्रवाह का अधिवेशन
नारायण द्वारा आधे घंटे से कम समय में बनाई पेंटिंग रही मुख्य आकर्षण
भीलवाड़ा,राजस्थान / राजकुमार गोयल
भीलवाड़ा :- युगीन साहित्य और कला प्रवाह का प्रथम अधिवेशन पुर अधरशिला तीर्थ के प्रांगण में संपन्न हुआ जिसमें जिले भर के लगभग सत्तर कवियों, विचारकों, लेखकों, कलाकारों, पाठकों और कला साहित्य से जुड़े नवांकुरों ने भाग लिया। संस्थापक योगेश दाधीच योगसा ने सभी का परिचय कराया। बालसाहित्यकार डॉ० सत्यनारायण सत्य ने बताया कि अच्छे साहित्य के लिए प्रकाशक खुद आगे होकर मांग करते हैं। संस्था के संरक्षक पूर्व अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी गोपाल लाल दाधीच ने नवोदित रचनाकारों को अधिक से अधिक पढ़ने के लिए प्रेरित किया। वहीं सतीश आस ने बताया कि विविध विधाओं के बजाय किसी एक विधा पर काम किया जाए तो दक्षता होने के साथ साथ रचनाएं अपनी पहचान भी बनाती है। जयपुर से आए अश्विनी व्यास ने रचनाकारों को निर्देशित किया कि यथार्थ लेखन पर बहुत कम कलम चलती है। हमें प्रतिष्ठित पुस्तकों को पढ़ते रहना चाहिए और देश और समाज के यथार्थ पर अपना लेखन करना चाहिए।
उक्त समारोह में महेन्द्रगढ़ के आर्टिस्ट नारायण ने लाईव पेंटिग बनाकर सबको रोमाचिंत कर दिया। सूरज पारीक ने बताया कि लेखन सीखने के लिए यह समूह सकारात्मक रूप से छिपी प्रतिभा को निकालने के लिए तत्पर है। इस समारोह में कवि दीपक पारीक, अवधेश जौहरी, नवीन नव, अंबालाल सुकाल, गोपाल टेलर, मुरलीघर व्यास, राजकुमार राज, गोविंद व्यास, रामेश्वर रमेश, सुरेन्द्र वैष्णव, दिनेश विश्नोई ने अपनी रचनाओं से मन मोह लिया। वहीं रामावतार शर्मा, मनीष भट्ट, प्रकाश पाराशर के क्रांतिकारी विचारों ने कार्यक्रम को नयी दिशा दी। इस मौके पर शिवलाल कारोही, आशुतोष माटोलिया, जगदीश जगत, दिलखुश सुरास, राजवीर सिंह उपस्थित थे। अंत में कार्यक्रम के संयोजक रोहित सुकुमार, चंद्रेश टेलर, अनिल गहलोत और पुर स्टडी सर्किल ने सभी साहित्यकारों और नवाकुंरो का आभार जताया।