पांच पुत्री-एक पुत्र सहित पत्नी को छोड गया शिवराम, असहाय परिवार के मददगार बने सीताराम गुप्ता
जिसका कोई नही है उसका ऊपर वाला है रखवाला, जो भूखा सुलाते नही जगाते अवश्य है , असहाय व विधवा मुकेश देवी का कष्ट भरी जिन्दगी
भरतपुर (राजस्थान/ रामचंद्र सैनी) जिसका कोई नही है उसका रखवाला होता ईश्वर-अल्लाह,जो भूखा अवश्य जगाते है,लेकिन किसी को भूखा नही सोने देते,ऐसा नेक काम किया लुपिन फाउन्डेशन के अधिशाषी निदेशक सीताराम गुप्ता ने,जिन्हाने कुम्हेर उपखण्ड की ग्राम पंचायत हेलक के गांव नगला गयासिका निवासी असहाय-गरीब एवं जरूरतमन्द परिवार की मुखिया मुकेशदेवी पत्नी स्व0 शिवराम गुर्जर ने आर्थिक मदद की और कोरोना संक्रमण के मानव जीवन बचाव के लिए राज्य व जिले में लगे लाॅकडाउन व रात्रि कफ्र्यू के समय कष्ट की घडी में लुपिन मददगार बनी,जिसका गांव के गणमान्य नागरिक एवं लाभार्थी लुपिन के अधिशाषी निदेशक सीताराम गुप्ता को आमजन का मददगार बता कर सराहना करने लगे है। उक्त असहाय परिवार को आज लुपिन के मुख्य सुरक्षा अधिकारी कौशलसिंह के हाथ से लुपिन के द्वारा 11 हजार की राशि का चेक प्रदान किया गया। गांव हेलक निवासी कौशलसिंह ने बताया कि गांव गयासिका निवासी मुकेशदेवी के पति शिवराम गुर्जर की 23 मार्च 2021 को गम्भीर बीमारी से निधन हो गया,मृतक के पाचं पुत्री एवं 3 वर्षीय एक पुत्र था,जो एक पुत्री की शादी कर गया,शेष पुत्र-पुत्रियों का लालन-पालन मृतका की पत्नी मेहनत मजदूरी कर करने लगी,राज्य में चल रहे लाॅकडाउन व कफ्र्यू के मददेनजर अब मजदूरी भी नही मिल रही,जिस कारण से परिवार के सामने आर्थिक संकट छा गया,गांव के लोगों ने लुपिन के अधिशाषी निदेशक सीताराम गुप्ता से असहाय परिवार की मदद करने की अभिशंषा की और उक्त परिवार की मुखियां मुकेशदेवी ने लुपिन संस्थान से मदद की गुहार लगाई। जिस पर लुपिन के अधिशाषी निदेशक सीताराम गुप्ता ने असहाय परिवार को 11 हजार की आर्थिक मदद स्वीकृत की,जिस आर्थिक मदद के चेक को लाभार्थी महिला एवं उसके बच्चों को सौंपा गया। लाभार्थी व असहाय परिवार के मुखिया मुकेशदेवी ने बताया कि साल 2020 से कष्ट भरा जीवन व्यतीत कर रहे है,साल 2020 में लाॅकडाउन एवं कोरोना वायरस से पति शिवराम गुर्जर का रोजगार छिन गया और उन्हे गम्भीर बीमारी ने घेर लिया,जेवरात बेच कर पति का उपचार कराया,लेकिन पति नही बच सके,पति एक पुत्री की शादी अवश्य कर गए,शेष चार पुत्रियां अविवाहिता है और पुत्र की आयु मात्र 3 साल है। एक पुत्री का बुआ-मामा पालन कर रहे है,अन्य बच्चों का लालन-पालन मेहनत मजूदरी कर की जा रही है। अब मजदूरी भी नही मिल रही,परिवार पर आर्थिक संकट छाया हुआ है। कष्ट भरी जिन्दगी में लुपिन के अधिशाषी निदेशक सीताराम गुप्ता मददगार बने,जिन्होने परिवार के लालन-पालन को 11 हजार का चेक प्रदान किया। जिनकी मदद को जीवन भर नही भूल सकती।