जीर्णोद्धार के नाम पर साढ़े छः लाख खर्च फिर भी टूटी नहरें, ग्रामीणों ने की पूरी नहरों के नवीनीकरण की मांग

गुरलां स्थित रणजीत सागर तालाब की क्षतिग्रस्त नहरों का हैं मामला

Dec 8, 2021 - 15:50
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जीर्णोद्धार के नाम पर साढ़े छः लाख खर्च फिर भी टूटी नहरें, ग्रामीणों ने की पूरी नहरों के नवीनीकरण की मांग

गुरला (भीलवाड़ा, राजस्थान/ बृजेश शर्मा) कारोई क्षेत्र से निकल रहे भीलवाड़ा राजसमंद राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 758 पर बसे गुरलां कस्बे के बाहर राजमार्ग किनारे स्थित रणजीत सागर तालाब का नजारा राजमार्ग से निकलते समय उदयपुर की पिछोला झील से कम नहीं आंका जा सकता हैं । जबकि ये रणजीत सागर तालाब गुरलां क्षेत्रवासियों के लिए जीवनदायीनी  होकर हजारो घर परिवार का पालन पोषण कर रहा हैं । इस तालाब में वर्षपर्यन्त तक पानी का ठहराव बने रहने के कारण यहां के किसान परिवार अपने जीविकोपार्जन हेतु वर्षभर अपनी अपनी खेती करते हैं । मगर सिंचाई विभाग की अनदेखी के चलते पिछले कई सालों से रणजीत सागर तालाब अपनी व्यथा गाता नजर आता रहा हैं । जिसमें इस तालाब से निकलने वाली सिंचाई की नहरें (कैनाल) शतप्रतिशत क्षतिग्रस्त हो रखी हैं । नतीजन जो पानी किसानों को खेती के उपयोग हेतु मिलना चाहिए वो सब युही व्यर्थ बह जाता हैं। 
गुरलां के शंकरलाल माली, केलाश चन्द्र माली, ओम प्रकाश, रमेशचंद्र, रतन लाल, कन्हैया लाल माली व भेरू लाल तिवाड़ी सहित अन्य किसान साथियों ने बताया कि यहां टूटी पड़ी नहरों और सालभर तालाब में पानी बने रहने के कारण तालाब की झरन का पानी उनके खेतों में आकर फसलों को नुकसान करता है जिससे इस तालाब के पानी से जो किसानों को फायदा मिलना चाहिए वो कम होता हैं जबकि अनावश्यक व्यर्थ बहने से खेतों में अत्यधिक मात्रा में आने वाले पानी से नुकसान ज्यादा होता हैं। ऐसे में रणजीत सागर तालाब की  क्षतिग्रस्त हो रही नहरों से पानी की  बर्बादी हद से ज्यादा होती हैं जबकि पानी काम कम आ पाता हैं।
ग्रामीणों ने बताया की रणजीत सागर तालाब के बनने के साथ ही बनी वर्षों पुरानी नहरें अब पूर्णतः क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं । जिनकी मरम्मत को लेकर पहली बार सिंचाई विभाग ने पिछले वर्ष 4 लाख 75 हजार व इस वर्ष 1 लाख 75 हजार का खर्चा करते हुए दो सालों में कुल साढ़े 6 लाख खर्च कर दिए मगर नहरें आज भी टूटी हुई ही हैं । जिससे पानी की बर्बादी होती हैं । ग्रामीणों ने बताया कि ऐसे में अब रबी की बुवाई शुरू हो चुकी हैं और अब सिंचाई विभाग इन क्षतिग्रस्त नहरों की सुध ले रहा हैं वो भी ऊट के मुंह में जीरा वाली कहावत को चरितार्थ करता नजर आ रहा हैं क्यों कि पूरी की पूरी नहरें क्षतिग्रस्त होकर जीर्णशीर्ण हो चुकी हैं साथ ही नहरें बहुत सकड़ी होकर गहरी भी कम हैं जिससे पानी की बर्बादी होती हैं। ऐसे में इस समस्या को लेकर गांव के ग्रामीणों ने सिंचाई विभाग से अविलम्ब रणजीत सागर तालाब की नहरों (कैनालों) की नवीनीकरण की मांग की हैं ।

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