वन्य जीवों का बाघ परियोजना क्षेत्र छोड़ बहार निकलना चिंता का विषय
थानागाजी (अलवर, राजस्थान) सरिस्का राष्ट्रीय बाघ परियोजना क्षेत्र में बढ़ते बाघों के कुनबे के साथ ही चीतल, सुअर, साम्भर, नीलगाय के साथ साथ पेंथर का परियोजना क्षेत्र से बाहर निकलना आम आदमी व कृषि फसलों के लिए जीतना चिंता का विषय बना है, उससे कही अधिक इनकी सुरक्षा को लेकर चिंता बनी हुई है।
तीन दशक पुर्व सरिस्का के बाघ विहीन होना अलवर का दुर्भाग्य था। बाघों के एक साथ उस समय गायब होना सरिस्का प्रशासन की लापरवाही व कुप्रबंधन का हिस्सा रहा। सरिस्का में बाघों के नहीं रहने से यहां पेंथर, सुअर, नीलगाय, रोज़, साम्भर, जैसे वन्य जीवों की संख्या में बढ़ोतरी होना स्वाभाविक था, जो आज भी बहुतायत में देखें जा सकते हैं।
राष्ट्रीय बाघ परियोजना क्षेत्र में बाघों के पुनः आबाद होने व इनके बढ़ते कुनबे के साथ ही अन्य वन्य जीव परियोजना क्षेत्र छोड़ कर बहार निकलना प्रारम्भ हो गये , जो आये दिन चिंता का विषय बना रहता है, लेकिन इससे भी बड़ी चिंता इनकी सुरक्षा की है, सामाजिक वानिकी क्षेत्र (वन क्षेत्र) में विभागीय अधिकारियों के पास पर्याप्त संसाधन नहीं होने के साथ ही कर्मचारियों के अभाव के साथ वन क्षेत्र का सही सीमांकन नही होना परिवहन व सुरक्षा के साधन नहीं मिलना जैसी अनेकों समस्याओं से बाघ परियोजना क्षेत्र से बाहर निकलें वन्य जीवों की सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय है ।
सरिस्का बाघ परियोजना क्षेत्र से जुड़े सामाजिक वानिकी क्षेत्र के आस पास शिकारीयों के बढ़ते अंदेशा के चलते आये दिन वन्य जीवों की शिकार करना कहीं ना कहीं सुर्खियों में बना रहना एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है जिसे लेकर वन्य जीवों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होना बहुत जरूरी है।एल पी एस विकास संस्थान के निदेशक व प्रकृति प्रेमी राम भरोस मीणा ने चिंता जताते हुए कहा कि वन्य जीवों की सुरक्षा बहुत जरूरी है, आम आदमी को मित्रवत व्यवहार करते हुए इनकी सुरक्षा का जिम्मा लेना चाहिए, जिससे इन्हें बचाया जा सके।