भूमाफियाओ की बल्ले-बल्ले, नियम विरुद्ध पालिका कार्यालय द्वारा कर दी भूमि आवंटन, बार बार एक ही आंवटी को खांचा भूमि के नाम आंवटित,
तखतगढ (पाली, राजस्थान/ बरकत खान) तखतगढ नगरपालिका क्षेत्र में भले ही जमीनो के भावों में भारी तेजी रहती हो यदि पालिका प्रशासन मेहरबान हो तो यहाँ कौड़ियों के दाम मिल सकती है, बेशकीमती जमीन। दरअसल पुर्ववर्ति भाजपा बोर्ड में किस कदर पालिका क्षेत्र में बेशकिमती ज़मीन की बंदरबाट हुई जो कोई सूने तो हक्का-बक्का रह जाए।
नगरपालिका तखतगढ के तत्कालीन अधिशाषी अधिकारी योगेश आचार्य द्वारा भूमाफियाओ से सांठ-गांठ करके नियम विरुद्ध ऐसी भूमि को भी खांचा भूमि के नाम आंवटित कर दी जहाँ नियमानुसार आवंटन कर ही नही सकते थे। लेकिन पूर्व भाजपा बोर्ड 2015 से 2020 तक द्वारा करोडों रुपयो के राजस्व हेरा-फेरी के साथ नगरीय क्षेत्र की बेशकिमती जमीन को भी नियम कायदो को ताक में रखकर बेचान करते रहे। मामले की पोल तभी खुलने लगी जब महाभ्रष्टाचारी जिसने बाड़मेर नगर परिषद में क्लर्क रहते योगेश आचार्य द्वारा करोडो रुपयो की ज़मीन घोटालों के मास्टर माइंड ने धड़ल्ले से पुर्व में तखतगढ नगर में उधान और महापुरुषों के नाम भवन बनाने के लिए भूमि आरक्षित कर रखी थी, उसे भी सरकारी आदेशों को धत्ता करते हुए नियम विरुद्ध ऐसी सभी आरक्षित भूमि को चोरी छिपे भूमाफियाओ को खांचा भूमि के नाम पर पर बेचना शुरु किया।
नियमानुसार एक पट्टाधारक को एक बार ही स्ट्रीट आॅफ लैण्ड का आवंटन किया जा सकता है, लेकिन पालिका कार्यालय तखतगढ द्वारा नियम विरुद्ध एक ही पट्टा धारक को दो, दो तीन तीन बार खांचा भूमि आंवटित करने के मामले सामने आ रहे हैं। खांचा भूमि आवंटन की मुख्य शर्तो के तहत ऐसी कोई भूमि जो जन उपयोगी नही हो, और स्वतंत्रत नीलामी नही हो सकने वाली भूमि को ही खांचा भूमि के नाम आंवटित किया जा सकता है। लेकिन तखतगढ नगरपालिका इन नियम, शर्तों के विपरित जाकर मुख्य मार्गों सहित, जन उपयोगी भूमि को ही खांचा भूमि के नाम बेशकीमती जमीनो का आवंटन कौड़ियों में ही आवंटन कर दिया है।
पालिका प्रशासन को बार बार शिकायतो के बावजूद भी अधिशाषी अधिकारी और राजनेताओं के मिलीभगत के चलते जागरुक नागरिकों द्वारा की गई शिकायतो को दबाया जा रहाँ है। नियम विरुद्ध आंवटित खांचा भूमि जो जनोपयोगी होते हुए भी पालिका प्रशासन और भाजपा चैयरमैन द्वारा सांठ गांठ कर पालिका को करोडों रुपयो के राजस्व का नुकसान पहुँचाया है। यदि नियमानुसार नीलामी हुई होती तो पालिका को करोडों रुपयो का राजस्व अर्जित होता।
उन सभी खांचा भुमियो पर स्वतंत्र रास्ते उपलब्ध होते हुए भी भूमाफियाओ को अनुचित फायदा पहुंचाया गया है।आज वर्तमान बाजार भाव से ली भूमि से उन भुमाफियाओ द्वारा वाणिज्यक प्रतिष्ठान बनाकर बेचे जा रहे हैं। आंवटियो द्वारा पक्के निर्माण कार्य करवाकर दुकाने बेची जा रही है, यहा तक की पालिका प्रशासन ने मुख्य मार्गों तक खांचा भूमि के नाम बेचान कर दिया है, इसी कडी में पादरली रोड़, नेहरु रोड, आदर्श काॅलोनी और आवारा पशुओं को रखने के कांजी हाउस तक को बेच डाला है।
इन सभी मामलो की उच्च स्तरीय शिकायतो के बावजूद भी नियम विरुद्ध दी खांचा भूमि पर कार्रवाई नही होना ऐसे में भुमाफियाओ और पालिका प्रशासन के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। ऐसा ही मामला गत सोमवार को अंबेडकर भवन के पास सामने आया जिसमें निर्माणाधीन अंबेडकर भवन के चार दीवारी कार्य के साथ गडबडजाले की बू आ रही है, अंबेडकर भवन के समीप पुर्वी दिशा में पालिका द्वारा 15 फ़ीट के लगभग जमीन को छोड़कर चार दिवारी का कार्य करवाया जा रहा है, जिसकी शिकायत होने के बावजूद भी जनप्रतिनिधियों के सामने अधिशाषी अधिकारी ने काम रोकने की बात कही लेकिन संवेदक द्वारा रुकवाए कार्य को पुर्ण करने का मामला सामने आया। अधिशाषी अधिकारी द्वारा इस जमीन को भी ऐसा प्रतित होता है कि कागजों में ही खांचा भूमि के नाम बेचान कर रखा है। अब देखना ये है कि स्वायत्त शासन विभाग के द्वारा एक अत्ति आवश्यक सूचना जारी कर सतकर्ता विभाग शासन सचिव रक्षा पारीक द्वारा निकाले आदेश की कितनी पालना होती है।