पुलिस की मश्क्कत से मंद बुद्धि बालक के मिल गए परिजन
वह बालक बिलख बिलख कर रोने लगा थानेदार ने पुचकारा-खिलाया -आखिर काफी मशक्कत के बाद मंद बुद्धि बालक के मिल गए परिजन
अलवर
एक छह साल का मंद बुद्धि बालक किसी अनजान पिकअप में बैठकर लक्ष्मणगढ़ कस्बे में पहुंच जाता है।अब वह बालक स्प्ष्ट उस गांव के बारे में किसी दुकानदार-राहगीर को नहीं बता पा रहा था जिसके लिए वह अपने नाना-नानी के गांव जुरेहड़ा, भरतपुर से बिना बताए निकला था।जाहिर है बालक होने से वह शाम ढलने से और डर गया और आंखे हाथों से मलते हुए फबक फबक रोने लगा।लगातार रोने और आंखे मलने से बालक की आँखे लाल चट्ट हो गई।कस्बे के किसी भले मानुष को बालक पर रहम आ गई और थानाप्रभारी लक्ष्मणगढ़ अजीत सिंह को बालक के संदर्भ में जानकारी दी।बालक को थाने लाकर पहले बालक की चाय-पानी-बिस्किट से आवभगत की और फिर बालक के माथे पर अपनत्त्व का हाथ फेरते हुए पुचकारते लहजे में थानाधिकारी अजीत सिंह के पूछने पर बालक ने तमाम प्रश्नों का सहज ही उत्तर दिया लेकिन उसके तुतलाकर बोलने के कारण थाने में मौजूद किसी स्टाफ को भी बालक की भाषा स्प्ष्ट समझ नहीं आई।बालक किसी गांव का नाम कभी खड्ड,कभी खड्डा, कभी खेड़ी बता रहा था।थानाप्रभारी अजीत सिंह और स्टाफ ने थाना क्षेत्र के ख अक्षर से शुरू होने वाले तमाम गांव खंगाले।आखिर कुछ घण्टों की माथापच्ची के बाद खेड़ली चन्द्रावत गांव में बालक रहीश के मौसा-मौसी मिल गए।बालक के मौसा को खोजने में सरपंच शेरू की भी अहम भूमिका रही।असल में रहीश के माता-पिता मेरठ में रहते है जबकि बालक रहीश नाना-नानी के घर रहता है यही वजह है कि वह अपने आप को अकेला महसूस करने लगा और बिना बताए मौसी के घर के लिए रवाना हो गया।दरअसल माँ की तरह ही मां जैसी मासी का बहन के बच्चों से कुछ अलग हटकर ज्यादा ही लगाव होने की वजह से ही बच्चों का मासी और बुआओं से कुछ ज्यादा ही लगाव देखने को मिलता है।
अब बालक के चेहरे पर मां सी को देखकर खुशी साफ झलक रही थी। बालक सिर झुकाकर तिरछी निगाहों से थाने की कच्ची धरती को अपने पैरों की अंगुलियों से कुरेदते हुए कभी थानाप्रभारी अजीत सिंह और पुलिस स्टाफ को तो कभी उस परिवार को देखकर इतरा रहा था जिस परिवार से मिलने के लिए नाना-नानी के घर से बिना बताए निकला था।कुछ घण्टों में ही पुलिस से घुल मिल गया बालक जाते जाते वह बिस्किट का पैकिट भी अजीत सिंह से अपना हक समझते हुए मांगकर ले गया जिसे सिंह ने उसी बालक के लिए मंगाए थे।
राजीव श्रीवास्तव