आदिबद्री व कनकाचल पर्वत पर हो रहे विनाशकारी खनन के विरोध में पसोपा में चल रहा धरना 160 वे दिन भी जारी रहा
संतों -महात्माओं, कृष्णभक्तों व ब्रजवासियों का सरकार की वादाखिलाफी के विरुद्ध 30 जूनआंदोलन को तेज करने की चेतावनी
ड़ीग / भरतपुर / पदम जैन
ड़ीग उप खंड में आदिबद्री व कनकाचल पर्वत पर चल रहे खनन के विरुद्ध दिए जा रहे धरने के 160 वे दिन शुक्रवार को श्रीधाम बरसाना व गांव पसोपा में कृष्णभक्तों ब्रजवासियों, स्थानीय ग्रामीणों व संतो की सभा का आयोजन किया गया। बरसाना में संपन्न हुई सभा में प्रसिद्ध संत रमेश बाबा के सानिध्य में सैकड़ों भक्तों ने ब्रज के दिव्य पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को संरक्षित करवाने का संकल्प लिया ।
इस अवसर पर पूर्व विधायक गोपी गुर्जर ने कहा कि विगत 10 वर्षों से साधु समाज, बृजवासीगण व किसान वर्ग ब्रज के दिव्य पर्वयों के संरक्षण व खनन मुक्ति के लिए संघर्षरत है साथ ही पिछले 160 दिन से गांव पसोपा में साधु संतों व स्थानीय ग्रामवासियों का अनिश्चितकालीन धरना भी जारी है साथ ही सरकार से हर स्तर की वार्ता हो चुकी है एवं सरकार ने आश्वस्त भी किया है कि वह आदिबद्री व कनकाचल पर्वत को खनन मुक्त करेंगे लेकिन लगातार 160 दिन धरने के बाद भी सरकार द्वारा इस दिशा में किसी प्रकार से कोई भी कार्रवाई नहीं की गई । इस लिए अब तय किया गया है कि 30 जून के बाद से भरतपुर के स्तर पर ही नहीं बल्कि प्रदेश स्तर पर बड़े प्रदर्शन की कार्य योजना को अंजाम दिया जाएगा। राधाकांत शास्त्री ने स्पष्ट किया कि हमारा यह धरना जो विगत छह माह से चल रहा है व अपनी संस्कृति को बचाने का यह आंदोलन तब तक नहीं बंद होगा जब तक हमारे आराध्य पर्वत आदिबद्री व कनकाचल संपूर्ण रूप से खनन मुक्त होकर संरक्षक नहीं हो जाते हैं। आदि बद्री धाम के महंत शिवराम दास ने घोषणा करते हुए कहा कि सरकार के पूर्ण आश्वासन व विश्वास दिलाने के चलते संपूर्ण साधु समाज और स्थानीय ग्रामीण ने अभी तक धरने को शांतिपूर्ण तरीके से ही संचालित किया है लेकिन हमारे ही आंखों के सामने भयरहित होकर खनन माफिया श्रीकृष्ण की नित्य भूमि आदिबद्री पर्वत को नष्ट करने पर लगा हुआ है। अगर इन पर्वतों के अस्तित्व को बचाना है तो इस आंदोलन को अत्यंत उग्रता प्रदान करनी होगी । गांव पसोपा में धरना स्थल पर संतों की सभा में सभी संतो ने शीघ्र ही एक बड़े संत सम्मेलन का आयोजन करने की घोषणा की है जिसमें ब्रज प्रांत के सभी संतो को बुलाया जाएगा व इस आंदोलन को जिसको सरकार के वादे के चलते धीमा कर दिया गया था, पुनः पूर्ण उग्र रूप देने की रूपरेखा को तैयार कर आंदोलन को अत्यधिक तीव्र किया जाएगा । इस अवसर पर संत ब्रजदास, रामजी लाल शास्त्री, महेश शास्त्री, राधिकेश शास्त्री, साध्वी मुरलिका, साध्वी श्रीजी, संत ब्रजकिशोर दास ,संत माधवी शरण, संत साधुदास व कई प्रांतों से आए कृष्ण भक्त एवं वैष्णवजन उपस्थित रहे ।